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NSMCH और NSIT में मनाई गयी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125 वीं जयंती, एमडी सहित कर्मियों ने चित्र पर किया माल्यार्पण

NSMCH और NSIT में मनाई गयी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125 वीं जयंती, एमडी सहित कर्मियों ने चित्र पर किया माल्यार्पण

PATNA : बिहटा के अमहरा स्थित नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज एन्ड हॉस्पिटल तथा नेताजी सुभाष इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती मनायी गयी। इस मौके पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए संस्थान के चेयरमैन एम.एम सिंह एवं प्रबंधन निदेशक कृष्णा मुरारी सिंह ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ने आजादी की लड़ाई में गरम दल का नेतृत्व किया और कहा कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। इन्होंने आजाद हिद फौज का गठन कर अंग्रेजों के खिलाफ प्रबल आंदोलन किया था। 

वही उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए एनसएमसीएच हॉस्पिटल का यह एक और कदम है। नेताजी को जयंती के अवसर पर आम जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुई  नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की ओर से फ्री ओपीडी सेवा की शुरुआत की गयी है। पटना के सगुना मोड़ स्थित ड्रग पॉइंट पर इस सेवा की शुरुआत हुई है। जहाँ 75 प्रतिशत की छुट के साथ मरीजों के बिमारियों की जांच की जा रही है। सोमवार से लेकर शनिवार तक शाम चार बजे से सात चलने वाले इस ओपीडी में कम खर्च पर कई तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इस हॉस्पिटल में आपातकाल विभाग  (24×7),ब्लडबैंक,अत्याधुनिकऑपरेशन थियेटर,ग्यास्ट्रोइंटेरोलॉजी विभाग, एनेस्थिसियोलॉजी विभाग,एक्सरे,अल्ट्रासाउंड, सीटीस्कैन, डायलेसिसविभाग ,पैथोलॉजी,(ड्राईकैमेस्ट्री, प्लास्टिकसर्जरी,सामान्यरोग विभाग,सर्जरी विभाग,स्त्री एवं प्रसूति विभाग,शिशु एवं नवजात रोग विभाग,हड्डी रोग विभाग,नस रोग विभाग,मूत्र रोग विभाग, ईसीजी, टीएमटी,इको, नाक,कान एवं गला विभाग,नेत्र रोग विभाग,दांत रोग,टीवी एवं चेस्ट विभाग आदि की सुविधाएं लोग न्यूनतम दर पर  प्राप्त कर सकेंगे।

वही संस्थान के प्राचार्य डॉ अरबिंद प्रसाद ने अपने संबोधन में  कहा कि नेताजी का नारा था जय हिद जो आज प्रचलित होकर एक अभियान बन गया है। वे स्वतंत्रता आंदोलन के सच्चे भक्त थे। उनके सपना को एनएसएमसीएच जनता की सच्ची सेवा कर साकार करेगा। सुभाष चंद्र बोस बचपन से ही मेधावी थे। आईसीएस की परीक्षा पास करके भारत की गुलामी से मुक्ति के लिए अपनी नौकरी की परवाह न करके स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद गए। विशाल सेना बनायी और अपनी सशस्त्र सेना के साथ नेतृत्व करते हुए भारत के इतिहास को बदलने का संकल्प लिया। लेकिन 1945 में जापान में जब परमाणु बम से हमला हुआ। उसी दरम्यान टोकियो जाने के क्रम में संदिग्ध अवस्था में उनकी मौत हो गयी। इस मौके पर संस्थान के पी.आर.ओ. पवन सिंह, एपी सिंह आदित्य शेखर आदि शामिल थे।


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