NEW DELHI : पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी आग से दबाव में आई सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की भाजपा सरकार ना ना करते-करते आखिर पेट्रोल-डीजल को आखिरकार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने को तैयार हो गयी है, लेकिन इसके साथ ही इस मामले को लेकर उसने पाला राज्यों हवाले कर दिया है। उसने कहा है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए, लेकिन इसे जीएसटी काउंसिल में तब तक नहीं लाया जा सकता, जब तक कि राज्यों के वित्त मंत्रालय की ओर से इसकी मंजूरी नहीं मिल जाती है। इस मामले में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने कहा है कि कच्चा तेल आयातित होता है। विदेशी कंपनियां कीमतें बढ़ा रही हैं। पेट्रोलियम मंत्रालय कह चुका है कि पेट्रोल तथा डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए, लेकिन मुद्दा यह है कि इस प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल के सामने तब तक नहीं लाया जा सकता, जब तक सभी राज्यों के वित्त मंत्रालय इसे मंज़ूरी न दें।
देश में पेट्रोल के दाम करीब 12 दिनों से लगातार बढ़ते जा रहे हैं. लोगों में इस
बात से नाराजगी बढ़ती जा रही है कि सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है, जिससे उन्हें सीधे लाभ मिले। वहीं, इस
पूरे मुद्दे पर विपक्ष सरकार पर हमलावर है और रोज भाजपा के मंत्रियों के पुराने बयान
साझा कर सफाई मांग रहा है। जानकारों का मानना है कि पेट्रोलियम
उत्पादों को जीएसटी की दायरे में लाने से पेट्रोल के दाम वर्तमान की दर से करीब 30 रुपये प्रतिलीटर सस्ते हो जायेंगे। जीएसटी में अधिकतम दर यानी 28 फीसदी की दर से भी यदि टैक्स लगेगा, तब भी लोगों को इसका फायदा मिलेगा। फिलहाल, पेट्रोल की कीमत जो आम आदमी चुकाता है, उस पर करीब आधा टैक्स के रूप में दिया जाता है
यानी करीब 50 फीसदी जनता टैक्स देती है। जीएसटी लागू हो जाने पर यह 50 से सीधे 28 फीसदी
रह जाएगा और कीमत कम हो जायेगी।