GAYA : भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अगस्त क्रांति का आगाज 9 अगस्त सन 1942 को हुआ था। जो देश को आजाद कराने में बड़ा सहयोगी साबित हुआ। उस दौरान फैले देशव्यापी आंदोलन से गया जिला भी अछूता नहीं था। गया के क्रांतिकारियों ने एकबारगी अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी। जिले के बेलागंज के ऐतिहासिक नेयामतपुर आश्रम के संस्थापक और महान स्वतंत्रता सेनानी, किसानों के जान पंडित यदुनंदन शर्मा ने अगस्त क्रांति के दौरान संयुक्त मगध का नेतृत्व किया था। अगस्त क्रांति की चिंगारी बेलागंज में इतनी भड़की कि क्रांतिकारियों को चाकंद रेलवे-स्टेशन को जलाने के लिए मुफीद स्थल लगा।
चाकंद रेलवे स्टेशन को कर दिया था आग के हवाले
पंडित शर्मा ने योजनाबद्ध तरीके से 14 अगस्त 1942 को चाकंद के हसनपुर गांव निवासी नंदकिशोर सिंह जैसे क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश अफसरों के सामान से भरे गया पटना रेलखंड के चाकंद रेलवे-स्टेशन को पूरी तरह से आग के हवाले कर दिया। जिसमें अंग्रेजों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस घटना से बौखलाए ब्रिटिश सैनिकों ने हसनपुर से नंदकिशोर सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
मगध का जालियांवाला बाग वाली घटना
कुछ दिनों बाद ब्रिटिश सैनिकों की एक दल कैप्टन टोम्यो के नेतृत्व में पंडित शर्मा को गिरफ्तार या हत्या करने के लिए आश्रम पर धावा बोल दिया। उस समय यदुनंदन शर्मा अपने साथियों के साथ आश्रम के बंद कमरे में आगे की रणनीति बना रहे थे। अंग्रेजों ने ताबड़तोड़ गोली बरसाना शुरू कर दिया। जिसके कारण हीं ऐतिहासिक नेयामतपुर आश्रम को मगध का जलियांवाला बाग की उपाधि दी गई थी। पंडित शर्मा कमरे के खिड़की से भागने में सफल हो गए लेकिन कई गिरफ्तार हो गए। जिन्हें कड़ी यातना देने के बाद जेल भेज दिया। उसके बाद भी यदुनंदन शर्मा शांत नहीं बैठे।
उखाड़ दी रेलवे पटरी
1942 सितंबर महीने में जब पता चला कि एतिहासिक नेयामतपुर आश्रम पर बड़ी संख्या में अंग्रेज अधिकारियों और सिपाहियों को लेकर ट्रेन आ रही है तो रोकने के लिए नेयामतपुर गांव पास 3 किलोमीटर तक रेलवे पटरी उखाड़ दिया था। अगस्त क्रांति आंदोलन के दौरान बेलागंज से भी बड़ी संख्या में क्रांतिकारियों ने अपना अविस्मरणीय योगदान दिया था।
गया से प्रभात कुमार मिश्रा की रिपोर्ट।