NALANDA : मुंबई की तर्ज पर बिहारशरीफ के सोहसराय, पुलपर समेत अन्य जगहों पर वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार भगवान गणेश की एक से बढ़कर एक आकर्षक प्रतिमाएं बिठाई गई है। गणेश चतुर्थी की देर रात तक पूजा पंडालों में प्रतिमा बिठाकर सोहसराय और पुलपर मोहल्ला में 'बुढ़वा गणेश' की विशेष आकृति की पूजा की जाती है।
आयोजकों ने बताया कि बिहारशरीफ में आलू और प्याज का बहुत बड़ा मंडी था। यहां के व्यापारी व्यापार करने के लिए मुंबई जाते थे। वहां की गणेश पूजा देखकर काफी प्रेरित हुए और यहां आकर 1932 में व्यापारियों के द्वारा ही गोला गणेश की स्थापना की गई थी। तब से लेकर आज तक मुंबई की तर्ज पर 10 दिनों तक घर घर बप्पा की पूजा की जाती है।
इस अवसर पर एक भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें न केवल शहर के लोग बल्कि आस-पास के ग्रामीण भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। मेले में मिठाई की दुकानें और खेल-खिलौनों के स्टॉल विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं।
नालंदा में गणेश चतुर्थी का यह उत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है। यह त्योहार बिहार के इस हिस्से में धार्मिक सद्भाव और सामाजिक समरसता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गया है।
नालंदा से राज की रिपोर्ट