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86 साल बाद कमला नदी के आएंगे अच्छे दिन, इस इलाके में लौटेगी खुशियां

86 साल बाद कमला नदी के आएंगे अच्छे दिन, इस इलाके में लौटेगी खुशियां

Madhubani:  इस कोरोना महासंकट में लाखों जिंदगी तबाह हो गई ,कई लोग बेरोजगार हुए  और उनकी ऱोजी रोटी पर भी  चिंता आ गयी  ।इसी बीच बिहार के मधुबनी के झंझारपुर प्रखंड  से हौसला बढ़ाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं.यहाँ  लोहना दक्षिणी पंचायत में पुरानी कमला नदी  की धारा को 86 साल बाद फिर से अविरल बनाने का काम जोर-शोर से जारी है. दरअसल मधुबनी के पिपराघाट से दरभंगा तक बहने वाली पुरानी कमला नदी की दिशा साल 1934 में आई बाढ़ के बाद झंझारपुर प्रखंड में दूसरी ओर मुड़ गई थी. समय के साथ पुरानी कमला नदी अपना अस्तित्व खोती चली गई. जबकि 86 साल पहले पुरानी कमला नदी की अविरल धारा से इलाके के लाखों किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलती थी. अब एक बार फिर जल संसाधन विभाग नदी को फिर से जिंदा करने की सुध लेते हुए नदी उड़ाही के कार्य को मंजूरी दी जिस पर जोर-शोर से काम जारी है. 

झंझारपुर प्रखंड के लोहना दक्षिणी पंचायत में पुरानी कमला नदी के जीर्णोद्धार का काम करीब 1 महीने से जारी है. खास बात ये है कि 49 लाख 91 हजार की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में करीब साढ़े 4 सौ पुरुष और महिला कामगारों को उनके अपने पंचायत में ही रोजगार का अवसर भी मिला है, जिससे लोगों के बीच खुशी की लहर दौड़ गयी  .

कोरोनाबंदी के चलते दूसरे प्रदेशों से थक हारकर घर लौटे हजारों प्रवासी मजदूर अब अपने गांव, अपने शहर में पसीना बहाकर खुद के साथ अपने जिले और राज्य की भी किस्मत बदलना चाहते हैं. राहत की बात ये है कि फिलहाल इन मेहनतकश हाथों को मनरेगा के तहत रोजगार का अवसर मिला है, जहां इन मजदूरों का जोश देखते ही बन रहा है.

जिला प्रशासन की ओर से भी मजदूरों को काम उपलब्ध कराने को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. जिला अधिकारी निलेश रामचंद्र देउरे का कहना है कि मधुबनी जिले के 21 प्रखंडों में करीब 90 हजार मजदूरों को रोजगार की दरकार थी, जिसमें 88 हजार कामगारों को रोजगार उपलब्ध करा दिए गए हैं. जिला प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक मधुबनी जिले में फिलहाल जल संरचना से संबंधित नहर, पईन और तालाब की खुदाई के कुल 715 प्रोजेक्ट पर काम जारी है.

जानकारी  के मुताबिक कोरोना काल में तेजी से बढ़ रही प्रवासी मजदूरों की संख्या फौरी तौर पर भले ही परेशानी का सबब बन रही हो, लेकिन आने वाले दिनों में प्रवासी कामगारों की ये फौज मधुबनी जैसे पिछड़े जिले को विकास की राह पर लाने में बड़ा योगदान दे सकती है. शायद यही वजह है कि बाहर से लौटे श्रमिकों   को उनकी काबिलियत के अनुसार काम उपलब्ध कराने को लेकर सरकार गंभीर दिख रही है और इसी कड़ी में मधुबनी में इन दिनों प्रवासी मजदूरों के सकिल स्क्रीनिंग का काम भी जोर-शोर से जारी है ।

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