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बिहार का एक ऐसा मंदिर, जहां हर साल रामनवमी पर अष्टमी के दिन मां के दर्शन के लिए आता है बाघ, दूसरा वैष्णो देवी मानते हैं भक्त

बिहार का एक ऐसा मंदिर, जहां हर साल रामनवमी पर अष्टमी के दिन मां के दर्शन के लिए आता है बाघ, दूसरा वैष्णो देवी मानते हैं भक्त

BETIA : बिहार के प.चंपारण जिसे गांधी की कर्म भूमी व वाल्मीकि की तपोभूमी कहा जाता है, यहां भी सजता है माता का दरबार। बिहार के प.चंपारण जिला के वाल्मीकि टाईगर रिजर्व इलाके के जंगल के बीच है मदनपुर देवी स्थान। जिसे यहां के वासी बिहार का द्वितीय माता वैष्णो देवी का स्थान मानते हैं। यही वह स्थान है जहा मदन राजा रहा करते थे और उन्हीं के इस जंगल मे महात्मा रहशू गुरु और धीमा गुरु तपस्वी रहा करते थे जो माता के परम भक्त थे। 

जंगलों के बीच अवस्थित मदनपुर वाली माता की महिमा काफी चर्चित है। यहां आने वाले भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाते और ना ही मायूस होकर जाते है। माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती है। खास कर यहा चैत्र नवरात्र में काफी भीड़ होता है। वैसे तो यहा शुक्रवार और सोमवार को बारहों महीना भीड़ रहता है। मदनपुर काफी ही जागता शक्तिपीठ है। यह माता वैष्णो देवी के तर्ज पर यह स्थान है। बताया जाता है कि यहां हर साल अष्टमी के दिन बाघ माता के दर्शन के लिए आता है और माता के दर्शन कर वापस चला जाता है। 

मंदिर से जुड़ी है यह किवंदती 

मदनपुर देवी स्थान से जुड़ी कई किवंदतियां भी है। यहां के पुजारी बताते हैं कि मंदिर में महात्मा रहशू गुरू रहते थे। महात्मा रहशू गुरु बाघ से यहां के खरपतवार से दवनी कर वासमती चावल निकाल माता का प्रसाद बना उन्हे भोग लगाते थे और खुद भी खाते थे। जिसकी भनक मदन राजा को लगी तब वह अपने दरबार मे रहशू गुरु को बुला माता की दर्शन का जिद करने लगे। उस समय रहशू गुरु ने काफी समझाया कि राजा माता की तेज को आप बर्दाश्त नहीं कर सकते अपनी जिद को छोड दें। मदन राजा तब भी नहीं माने और अंत में राजा की जिद के आगे महात्मा को झुकना पड़ा। माना जाता है कि जब मां अपने भक्त की पुकार पर हिमालय से चलीं तब कई पड़ाव पर वह रुकीं जिसमे कोलकत्ता, पटनदेवी, थावे में रुक कर मान जाने की बात करती रहीं। पर महात्मा अपने भक्त रहशू से पर राजा की जिद के आगे विवश थे। जब माता रहशू गुरु की सिर पर अपनी एक हाथ ही निकाली थी तभी उसके तेज से राजा सहित उसके सभी सिपाही वहीं जमीनदोज़ हो गए और इस तरह से उनका अंत हो गया तब से मदन राजा का पूरा परिवार भी समाप्त हो गया था लेकीन उस समय उनकी रानी जो की थावे अपने मायके गई थी वहीं बच पायी।

राज परिवार से कोई नहीं जाता पूजा करने

मदन राजा के परीवार से बची एक रानी से आज बड़गांव स्टेट है। बड़गाव स्टेट की ही बहुरानी अपर्णा सिंह ने बताया कि माता के श्राप के कारण आज भी हमारे परीवार का कोई भी सदस्य मदनपुर स्थान पर पूजा करने नहीं जाता है। बड़गांव की बहुरानी ने यह भी बताया कि रहशू गुरु हमारे राजगुरु थे। जो कि मदनराजा के पुजारी भी थे। रहशू गुरु अपने खेतो से सोना भी उपजाते थे और बाघ से दवनी कर बासमती का चावल निकालते थे । इसे ही देखने की जीद ने मदनराजा का नाश हो गया। मदनपुर स्थान के पुजारी बाबा ने उस समय के राजा का महल व महात्मा रहशू गुरु का वह सब स्थान भी बताया जहां कभी महल हुआ करता था। 

आज भी आता है बाघ

उन्होने यह भी बताया कि आज भी अष्टमी की रात मे बाघ यहां आता है और माता का दर्शन कर जाता है। वहीं आज भी यहां बड़गांव स्टेट का कोई भी सदस्य यहा शाम चार बजे के बाद नहीं रहता है।  

REPORTED BY ASHISH GUPTA

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