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चल रहा ट्रायल, कोरोना से पुरुषों को बचाएंगे महिलाओं के सेक्स हार्मोन

चल रहा ट्रायल, कोरोना से पुरुषों को बचाएंगे महिलाओं के सेक्स हार्मोन

Desk: पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा पीड़ित पुरुष ही हैं. बीमारों की संख्या लें या मरने वालों की सबसे ज्यादा नुकसान पुरुषों का हो रहा है. इनकी तुलना में महिलाएं ज्यादा मजबूती से कोरोना वायरस से लड़ रही हैं और उसे हरा भी रही हैं. वैज्ञानिकों ने पता किया तो जो जानकारी सामने आई उससे आप हैरान हो जाएंगे. महिलाओं के शरीर में पाए जाने वाले सेक्सुअल हार्मोंस की वजह से उनका इम्यून सिस्टम ज्यादा प्रभावी रहता है.

अब वैज्ञानिक यह पता करने की कोशिश करने जा रहे हैं कि क्या महिलाओं के सेक्स हार्मोंस से पुरुषों को कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सकती है. जब से कोरोना वायरस फैला है, तब से लेकर अब तक इससे बीमार हुए या मरने वालों में सबसे ज्यादा पुरुष ही रहे हैं. यह आंकड़ा करीब 75 फीसदी रहा है. इसके पीछे कारण ये हैं कि पुरुषों की लाइफस्टाइल और प्रदूषण से उनका रोजाना होने वाला सामना.


लॉस एजेंल्स के सेडार्स-सिनाई मेडिकल सेंटर की पल्मोनोलॉजिस्ट और आईसीयू फिजिशियन डॉ. सारा घंदेहारी ने बताया कि पुरुष ज्यादा नशा करते हैं. साथ ही उनका सामना प्रदूषण से ज्यादा होता है. इसलिए उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है महिलाओं की तुलना में. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में ग्लोबल पब्लिक हेल्थ की प्रोफेसर सारा हॉक्स ने कहा कि यह बात तो सही है कि महिलाओं का इम्यून सिस्टम पुरुषों की तुलना में ज्यादा मजबूत होता है. इसके पीछे हैं दो सेक्सुअल हार्मोंस. जिन्हें एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन कहा जाता है. प्रो. सारा हॉक्स ने कहा कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हार्मोंस बेहद कम होते हैं. इन्हीं दोनों हार्मोंस की वजह से महिलाओं में किसी भी संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की विशेष आंतरिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है.

अब सेडार्स-सिनाई और स्टोनी ब्रुक्स यूनिवर्सिटी के द रेनेसां स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिक अब यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या महिलाओं के सेक्सुअल हॉर्मोंस से पुरुषों को कोरोना वायरस से बचाया जा सकता है. क्या इसकी मदद से पुरुषों की बीमारियों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. स्टोनी ब्रुक्स यूनिवर्सिटी की मुख्य शोधकर्ता डॉ. शैरॉन नैशमैन ने कहा कि हम एक कोरोना मरीजों के छोटे समून का एक क्लीनिकल ट्रायल लेंगे. हम इसके लिए करीब 110 मरीज चुनेंगे. वहीं, सेडार्स-सिनाई मेडिकल सेंटर में ऐसा प्रयोग हो चुका है. डॉ. शैरॉन ने कहा कि हम देखेंगे कि मरीजों में कम से कम कोई एक लक्षण बहुत ज्यादा तीव्र हो. जैसे- बुखार, निमोनिया, सांस लेने में दिक्क्त आदि. इसमें 18 से लेकर 55 साल तक के कोरोना पीड़ित पुरुष और महिलाएं शामिल होंगी.


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