SAMASTIPUR : किसी भी जिले में वहां का सदर अस्पताल प्रमुख अस्पताल होता है। यहां इस उम्मीद से लोग पहुंचते हैं कि जिन बीमारियों का इलाज छोटे छोट सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल पाता है। वह सदर अस्पताल में उपलब्ध होगा। लेकिन समस्तीपुर का सदर अस्पताल इन सबमें अलग है। यहां पिछले एक साल में ऑपरेशन रूम का ताला मरीजों के लिए नहीं खुला है। जबकि यहां नया ऑपरेशन थियटर तैयार कराया गया था।
जहां प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग यह दावा करता है कि हर जिले में बड़ी संख्या में नए डॉक्टर नियुक्त किए गए हैं। वहीं समस्तीपुर में हालत ऐसी है कि यहां एक साल से मरीजों का ऑपरेशन बंद है। सड़क दुर्घटना या गोली लगने जैसी घटनाओं में घायल मरीजों को सीधे या तो प्राइवेट अस्पताल भेज दिया जाता है या दूसरे जिले में रेफर कर दिया जाता है।
जिले मे सरकारी डॉक्टरों की है भारी कमी
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) की गाइडलाइन व स्वास्थ्य विभाग के नियमों के मुताबिक जिले में स्पेशलिस्ट डॉक्टर की तो कमी है ही। एमओ (मेडिकल ऑफिसर) की संख्या भी कुल स्वीकृत पद से कम है। स्वीकृत पदों व नियमानुसार जिले में कुल 280 एमओ होने चाहिए लेकिन फिलहाल जिले में 212 एमओ की ही नियुक्ति है। 68 डॉक्टरों के पद जिलेभर में खाली पड़े हैं। इसके अलावा जिले में विशेष डॉक्टर के 308 पद हैं। लेकिन जिले में मात्र 88 विशेषज्ञ डॉक्टर ही कार्यरत हैं। जिले भर में 220 विशेषज्ञ डॉक्टर के पद रिक्त हैं। इसके अलावा जिले में विशेष डॉक्टर के 308 पद हैं। लेकिन जिले में मात्र 88 विशेषज्ञ डॉक्टर ही कार्यरत हैं। जिले भर में 220 विशेषज्ञ डॉक्टर के पद रिक्त हैं।
सिर्फ अस्पताल के भवन में हुआ विकास
सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर व पीएचसी के लिए नए भवन तो तैयार करवा दिए, लेकिन यहां डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को सही इलाज भी मुहैया नहीं हो पाता है।
सर्जन के अभाव में बेकार पड़ा है आधुनिक ओटी
जिले का मुख्य सदर अस्पताल में भी लंबे समय से मेडिसिन के अलावा सर्जन, मुर्छक, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के साथ ही रेडियोलॉजिस्ट के पद खाली है। रेडियोलॉजिस्ट के नहीं रहने के कारण करीब एक साल से सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड बंद है। सर्जन के अभाव में आधुनिक ओटी का भी उपयोग नहीं हो रहा है। हालत यह है कि यहां एक वर्ष से अधिक समय से अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो पाया है।
यही स्थिति यहां के पीएचसी (पब्लिक हेल्थ सेंटर) में चार विशेषज्ञ डॉक्टर को तैनात किया जाना है। उक्त अस्पतालों में सर्जन के अलावा स्त्रीरोग विशेषज्ञ, मुर्छक व एक फिजिशियन को पदस्थापित किया जाना है। लेकिन जिले के एक-दो पीएचसी को छोड़ दें कहीं भी विशेषज्ञ डॉक्टर प्रतिनियुक्त नहीं है। यहां तक कि कई पीएचसी में एमबीबीएस तक नहीं हैं।
सदर अस्पताल में सर्जन सहित डॉक्टर की कमी को यहां सीएस संजय कुमार चौधरी भी स्वीकारते हैं। उनका कहना है कि डॉक्टरों की तैनाती स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय पटना से होती है। डॉक्टरों की कमी के बारे में मुख्यालय को कई बार पत्र भेज कर अवगत कराया जा चुका है। डॉक्टरों के अभाव में परेशानी हो रही है। ऑपरेशन तक बंद है।