नीतीश पर नहीं है विपक्षी दलों को भरोसा ! चेन्नई में 3 अप्रैल को होगा सामाजिक न्याय सम्मेलन तेजस्वी होंगे शामिल, जदयू से दूरी

पटना. भाजपा के खिलाफ वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता की पहल की वकालत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं. लेकिन, उनसे ज्यादा अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन विपक्षी एकता के केंद्र में नायक बनते नजर आ रहे हैं. अब ऐसा ही एक मंच 3 अप्रैल को तमिलनाडु के चेन्नई में सजेगा जहाँ देश भर के कई विपक्षी दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. सबसे बड़ी बात है कि इसमें नीतीश की पार्टी जदयू के शामिल होने को लेकर फ़िलहाल कुछ भी क्लियर नहीं हैं. वहीं महागठबंधन में शामिल राजद जरुर चेन्नई में विपक्षी एकता के मंच पर दिखेगा. 

दरअसल, केंद्र सरकार को विपक्ष विरोधी बताते हुए तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके की ओर से विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद है. इसके लिए ‘ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर सोशल जस्टिस’ के बैनर तले चेन्नई में 3 अप्रैल को सामाजिक न्याय सम्मेलन होगा. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन इसमें मुख्य वक्ता होंगे. स्टालिन ने गैर भाजपा दलों को एक मंच पर आमंत्रित किया है. सबसे बड़ी बात है कि इसमें बीजू जनता दल (बीजद) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) शामिल होंगे, जिन्होंने अब तक विपक्ष की बड़ी छतरी से बाहर रहना चुना था.

इनके अलावा देश के कई अन्य राजनीतिक दल सामाजिक न्याय सम्मेलन में शामिल होंगे. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), समाजवादी पार्टी (सपा), वाईएसआरसीपी, बीजद के प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे. नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC), भारत राष्ट्र समिति (BRS),भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI),CPI (मार्क्सवादी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), आम आदमी पार्टी (AAP), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML),और मारुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) ने भी सम्मेलन में आने पर सहमति जताई है. 

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सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रमुख नेताओं में झामुमो का प्रतिनिधित्व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राजद का प्रतिनिधित्व बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी अपनी भागीदारी की पुष्टि की है. बीजद का प्रतिनिधित्व सस्मित पात्रा, वाईएसआरसीपी का प्रतिनिधित्व आंध्र प्रदेश के शिक्षा मंत्री ए. सुरेश और टीमसी का प्रतिनिधित्व डेरेक ओ ब्रायन करेंगे. वहीं इन सबके बीच जदयू के किसी नेता का नाम इसमें शामिल नहीं है जबकि नीतीश कुमार ने हेमशा ही विपक्षी एकता ही पहल की बात करते रहे हैं. 

ऐसे में अगर सामाजिक न्याय सम्मेलन के मंच पर जदयू से दूरी बनाई जाती है तो यह नीतीश कुमार के लिए झटका हो सकता है. पिछले साल भी नीतीश ने विपक्षी एकता की पहल के तहत कई विपक्षी नेताओं से दिल्ली जाकर मुलाकात की थी. बाद में दर्जनों बार सार्वजनिक रूप से विपक्ष से अपील कर चुके हैं कि सबको एक साथ आकर भाजपा के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता को मजबूती देना चाहिए. लेकिन उनकी इस अपील के बाद अब चेन्नई में 3 अप्रैल को सजने वाले विपक्षी एकता के मंच सामाजिक न्याय सम्मेलन से जदयू का दूर रहना कई नए सियासी कयासबाजी को जन्म दे रहा है. जहाँ नीतीश की पार्टी जदयू से विपक्षी दलों ने दूरी बना रखी है वहीं इस मंच पर नीतीश के साथ बिहार में सरकार में शामिल राजद को आमंत्रित किया गया है.