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नीतीश सरकार का फऱमान ! पहले रिहैबिलिटेशन फिर वैकेशन... बिहार के सभी ADM को मिला यह आदेश

नीतीश सरकार का फऱमान ! पहले रिहैबिलिटेशन फिर वैकेशन... बिहार के सभी ADM को मिला यह आदेश

पटना. बिहार सरकार ने फरमान जारी किया है कि अतिक्रमण हटाने के पहले पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक कुमार मेहता ने मंगलवार को अपर समाहर्ताओं की राज्य स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि पहले रिहैबिलेटेशन फिर वैकेशन। यानी किसी को भी हटाने से पहले उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। हाल के दिनों में यह बात देखने में आई है कि अतिक्रमण हटाने के दौरान गृहविहीन हो रहे लोगों के लिए सरकारी अधिकारी वैकल्पिक आवास की व्यवस्था नहीं करते हैं। सरकारी जमीन के मामलो में खासकर जल जीवन हरियाली अभियान को प्रभावित करनेवाले केसेज और कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में बगैर वैकल्पिक व्यवस्था किए बेदखल करने के कई मामले प्रकाश में आए हैं। इससे विभाग की बदनामी हो रही है।   

मेहता ने कहा कि सरकारी जमीन के मामले अगर अदालत में हैं तो अधिकारी उसमें अपना पक्ष ठीक से रखें। अगर सरकार के खिलाफ अदालत कोई फैसला देती है तो सक्षम न्यायालय में अपील जरूर करें। मंत्री ने यह भी कहा कि विभाग में इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्था होनी चाहिए। सरकारी जमीन की संरक्षा और लोगों को वेबजह परेषानी के बीच संतुलन कायम किया जाना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि जनता की छवि आमलोगों के बीच ठीक करना जरूरी है। इसमें अपर समाहर्ताओं की प्रमुख भूमिका है। इस सिलसिले में उन्होंने कहा कि म्युटेषन के लंबित मामलों को जल्द से जल्द शून्य किया जाए। म्युटेषन के मामलों में अनावष्यक विलंब नहीं हो। जिन मामलों में कोई आपत्ति नहीं है, उनका निपटारा समय सीमा के भीतर किया जाए। ऐसे मामलों को उन मामलों से अलग किया जाना चाहिए जो विवादित हैं या जिनपर आपत्ति है। सदर अंचलों खासकर पटना सदर, मधेपुरा सदर जैसे अंचलों में म्युटेशन के काफी मामले लंबित हैं। इनका निपटारा जल्द किया जाए। म्युटेशन के जो मामले अस्वीकृत हो रहे हैं उनकी वजह सही है या नहीं इसकी भी पड़ताल होनी चाहिए। अंचलकर्मी म्युटेशन को निरस्त करने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख करेंगे ताकि विभाग के स्तर से उनकी समीक्षा हो सके।  

एक मामला अंचल कार्यालय में म्युटेशन के रिजेक्टेड मामलों को पुनः स्वीकृत करने का है। अंचल कार्यालय में म्युटेशन के अस्वीकृत मामलों को भूमि सुधार उप समाहर्ता के कोर्ट में अपील करने का प्रावधान है। किंतु कई बार अस्वीकृत मामले का आवेदन दोबारा उसी न्यायालय में दे दिया जाता है और दुबारा उसका निष्पादन भी कर दिया जाता है। मंत्री महोदय ने कहा कि ऐसा नहीं हो इसके लिए अपर समाहर्ता अपने स्तर से म्युटेशन के मामलों की समीक्षा करें। 


विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि विभागीय कार्रवाई के ढेरों मामले विभिन्न जिलों के अपर समाहर्ता के स्तर पर लंबित हैं। इस तरह के 57 मामले हैं जबकि कुल 28 मामले ऐसे हैं जिनपर जिले का स्पष्ट मंतव्य अप्राप्त है। इससे सरकारी अधिकारियों खासकर अंचल अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित करने में कठिनाई हो रही है। विभागीय कार्रवाईयों का संचालन ठीक से नहीं करने के कारण हाईकोर्ट में हमारा पक्ष कमजोर हो जाता है। अपर मुख्य सचिव ने कर्मचारियों के खाली पदों का व्यौरा भी विभाग में शीघ्र भेजने का निर्देश दिया ताकि कर्मचारियों के खाली पदों को भरा जा सकेंगे। बैठक में सभी 38 जिलों के अपर समाहर्ताओं के अलावा अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, निदेषक भू-अर्जन सुषील कुमार, संयुक्त सचिव कंचन कपूर, समेत सभी शाखाओं के प्रभारी एवं वरीय प्रभारी उपस्थित थे।


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