CHHAPRA : बिहार के विश्वविद्यालयों में न सिर्फ सत्र में देरी के कारण छात्रों का भविष्य खराब हो रहा है। बल्कि अब विवि और कॉलेजों में अव्यवस्था के कारण उनकी मान्यता पर भी खतरा मंडरा रहा है। इस लिस्ट में बिहार के 11 विवि और 167 कॉलेज शामिल हैं, जिनमें बीते 25 महाविद्यालय की मान्यता यूजीसी ने खत्म करने के आदेश दिए गए हैं। दी है। रोचक तथ्य यह है कि इन 25 कॉलेजों में 23 सिर्फ सारण के जेपी यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं. जबकि दो कॉलेज दाउदपुर के नंदलाल सिंह कॉलेज और सिवान के सरदार पटेल मेमोरियल कॉलेज शामिल है। बताया जा रहा है कि जल्द ही इस लिस्ट में बाकि कॉलेजों के नाम भी शामिल हो सकते हैं।
दरअसल, जयप्रकाश विश्वविद्यालय के अंतर्गत छपरा, सिवान एवं गोपालगंज के 23 कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को करीब 24 करोड़ रुपये का हिसाब देना है। जिसमें 20 अंगीभूत एवं तीन संबद्ध कॉलेज शामिल हैं। 11 वीं वित्तीय योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2012-17 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कॉलेजों को यह राशि दी थी। जिसमें महिला छात्रावास, इंडोर स्टेडियम एवं कॉलेज का विकास करना था। जिसमें जेपी विश्वविद्यालय के अधिकांश कॉलेज में महिला छात्रावास का निर्माण आधा -अधूरा किया गया है। जिसको लेकर वेटरन फोरम फॉर ट्रांसपरेंसी संस्था के महासचिव डॉ. बीएन पी सिंह द्वारा हाईकोर्ट में इस बाबत दायर याचिका में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों से जवाब मांगा था। सचिव सेवानिवृत विंग कमांडर डा. बीएनपी सिंह ने बताया कि यूजीसी को हिसाब हर मद में दे देना होता है। इस संदर्भ में यूजीसी ने कई बार पत्राचार भी किया। इन रुपयों का दुरुपयोग किया गया है। कॉलेज अगर राशि नहीं लौटाते है तो उनकी मान्यता जायेगी।
छात्रों के भविष्य से नहीं खेल सकते हैं कॉलेज प्रबंधन
डा.बीएनपी सिंह ने बताया कि अगर कॉलेज ने जानकारी नहीं दी तो छात्रों के सामने भविष्य पर सवाल आ जायेगा। इसमें कॉलेज व विवि प्रशासन को यथाशीघ्र पहल कर उपयोगिता देनी चाहिए। ताकि बच्चों की भविष्य को बचाया जा सके। नहीं तो कॉलेज व विश्वविद्यालयों की गलती का खामियाजा लाखों छात्रों को भुगतना पड़ेगा।
हाईकोर्ट ने दिया दो सप्ताह का समय
वेट्रन्स फोरम फॉर ट्रांसपरेंसी संस्था के महासचिव डॉ. बीएनपी सिंह द्वारा दायर याचिका में कोर्ट ने दो हफ्ते में विश्वविद्यालयों व कॉलेजों द्वारा दिये गये उपयोगिता प्रमाण पत्र का डिटेल्स यानि कहां-कहां राशि खर्च की गई है और जिसने राशि नहीं लौटाई उन पर क्या कार्रवाई की गई इसका रिपोर्ट मांगा है। साथ ही उनकी मान्यता समाप्त करने का आदेश देने को कहा है।
यहां बता दें कि जब याचिका दायर की गई थी उस वक्त बिहार के विवि पर कुल 287 करोड़ में बकाया थे। जिसमें 100 करोड़ 14 लाख 19 हजार 524 रुपये की हिसाब दी गई है। करीब 107 करोड़ रुपये का हिसाब देना है। जमा राशि में छह करोड़ कैश भी लौटाया गया है। जिनमें जेपी विवि में कुल पांच करोड़ दो लाख व 23 कॉलेजों में 20 करोड़ की गोलमाल मिली है। यानि उस मद में प्राप्त राशि न तो कॉलेजों ने खर्च की न ही वापस की। लिहाजा इसे यूजीसी ने वित्तीय अनियमितता मानते हुए 2018 में अनुदान राशि देने पर रोक लगा दिया।
JP विवि के इन कॉलेजों पर मंडरा रहा है खतरा
{भोला प्रसाद सिंह कॉलेज 58 लाख 70 हजार 429
{डॉ. पीएन सिंह कॉलेज 13 लाख रुपए मात्र
{गोपालगंज कॉलेज 69 लाख 59 हजार 783
{गोपेश्वर कॉलेज 74 लाख 94 हजार 965
{हरिराम कॉलेज 7 लाख 18 हजार 985
{होती लाल रामनाथ 21 लाख 68 हजार 650
{यदुनंदन कॉलेज 73 लाख 68 हजार 680
{जगदम कॉलेज 1 करोड़ 25 लाख 4131
{जगलाल चौधरी 53 लाख 69 हजार 745
{जेपीएम कॉलेज 52 लाख 28 हजार 43
{लोक महाविद्यालय 83 लाख 93 हजार 600
{महेन्द्र महिला कॉलेज 98 लाख 89 हजार 900
{नंदलाल सिंह कॉलेज 46 लाख 81 हजार 890
{नारायण महाविद्यालय 31 लाख 78 हजार 56
{पीसी विज्ञान 1 करोड़ 92 लाख 42 हजार 580
{प्रभुनाथ कॉलेज 1 करोड़ 22 लाख 20 हजार 316
{राजा सिंह काॅलेज 1 करोड़ पांच लाख 91 हजार 410
{राजेन्द्र काॅलेज 65 लाख 34 हजार 790
{गंगाराम कॉलेज 71 लाख 40 हजार 470
{रामजयपाल कॉलेज 1 करोड़ 42 लाख 21 हजार 490
{श्री महेन्द्र दास 1 करोड़ 46 लाख 43 हजार 207
{विद्या भवन महिला 50 लाख 93 हजार 710
{जाकिया अफाक इस्लामिया 72 लाख 91 हजार 250
{जेपी विश्वविद्यालय पांच करोड़ दो लाख