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राजीव गांधी के सभी हत्यारों को जेल से रिहा करने के आदेश, पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के 31 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

राजीव गांधी के सभी हत्यारों को जेल से रिहा करने के आदेश, पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के 31 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

NEW DELHI : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के 31 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी की हत्या में शामिल नलिनी सहित जेल में बंद सभी 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर इन दोषियों पर कोई अन्य मामला नहीं है, तो इन्हें रिहा कर दिया जाए। कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस को रिहा करने के आदेश दिया है।

आज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि लंबे समय से राज्यपाल ने इस पर कदम नहीं उठाया तो हम उठा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दोषी करार दिए गए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश बाकी दोषियों पर भी लागू होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को जेल में अच्छे बर्ताव के कारणपेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. जस्टिस एल नागेश्वर की बेंच ने आर्टिकल 142 का इस्तेमाल करते हुए यह आदेश दिया था.

सोनिया ने दोषी नलिनी को माफ कर दिया था
 जब नलिनी को राजीव गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, तब वह गर्भवती थी। उसकी प्रेग्नेंसी को दो महीने हो गए थे। तब सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है।

31 साल पहले हुई थी राजीव गांधी की हत्या

21 मई 1991 को एक चुनावी रैली के दौरान तमिलनाडु में एक आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। उन्हें एक महिला ने माला पहनाई थी, इसके बाद धमाका हो गया। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हुई थी।

इस मामले में कुल 41 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 12 लोगों की मौत हो चुकी थी और तीन फरार हो गए थे। बाकी 26 पकड़े गए थे। इसमें श्रीलंकाई और भारतीय नागरिक थे। फरार आरोपियों में प्रभाकरण, पोट्टू ओम्मान और अकीला थे। आरोपियों पर टाडा कानून के तहत कार्रवाई की गई. सात साल तक चली कानूनी कार्यवाही के बाद 28 जनवरी 1998 को टाडा कोर्ट ने हजार पन्नों का फैसला सुनाया। इसमें सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई गई।

19 दोषी पहले हो चुके रिहा

ये फैसला टाडा कोर्ट का था, इसलिए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। टाडा कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने इस पूरे फैसले को ही पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 26 में से 19 दोषियों को रिहा कर दिया। सिर्फ 7 दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा गया था। बाद में इसे बदलकर उम्रकैद किया गया।


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