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सावधान: बिहार में बिकने वाले पान मसाला के नमूनो में मैग्नेशियम कार्बोनेट के बाद मिला जहरीला रासायनिक पदार्थ...

सावधान: बिहार में बिकने वाले पान मसाला के नमूनो में मैग्नेशियम कार्बोनेट के बाद मिला जहरीला रासायनिक पदार्थ...

पटना : स्वस्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और खाद्य संरक्षा आयुक्त संजय कुमार ने पान मसाला के विभिन्न ब्रांड में मैग्नीशियम कार्बोनेट पाए जाने के बाद जन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 15 ब्रांडों की बिक्री, उत्पादन, भण्डारण एवं परिवहन पर 30 अगस्त 2019 को  प्रतिबन्ध लगा दिया था।  साथ ही सभी 15 ब्रांड के नमूनों को अग्रतर जांच के लिए भारत सरकार के नेशनल टोबैको टेस्टिंग लेबोरेटरी में  भेजा था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारत सरकार के लेबोरेटरी जांच रिपोर्ट में रजनीगंधा सहित 7 पान मसाला ब्रांडों के नमूनों में जहरीला रासायनिक पदार्थ (निकोटिन) पाया गया है।

फ़ूड सेफ्टी एक्ट 2011 के रेगुलेशन 2.3.4 के तहत किसी भी खाद्य पदार्थ में  निकोटिन या तम्बाकू की मिलावट प्रतिबंधित है। साथ ही ये माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना भी है।  माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने  03/04/2013 को अंकुर गुटखा के एक मामले  में आदेश जारी करते हुए  निकोटिन युक्त पान मसाला और गुटखा को प्रतिबंध किया था साथ ही सभी राज्य सरकारों को सख्ती से इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करवाने का निर्देश दिया था। 

विदित हो कि पान मसाला कंपनियाँ अपने पैकेट्स पर 0% निकोटिन और 0% तम्बाकु लिखकर ग्राहकों को गुमराह करते हुए मुनाफे की खातिर सूबे की जनता के सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है। तंबाकू युक्त पान मसाला और गुटका का सेवन सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। 

कैंसर दुनियाभर में मौत का सबसे प्रमुख कारण है और 2008 में इसकी वजह से 76 लाख मौतें (सभी मौतों में लगभग 13 फीसदी) हुई थीं। 2030 में दुनियाभर में कैंसर की वजह से करीब 1.31 करोड़ मौतों की आशंका जताई गई है। भारत में कुल कैंसर रोगों का 40 फीसदी मुहं एवं गला का कैंसर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में भारत में ओरल कैंसर के 1,19,992 नए मामले दर्ज हुए हैं, जिसमे से 72,616 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।  

क्या है निकोटिन?

निकोटीन जहरीला पदार्थ है साथ ही यह नशे को बढ़ावा देता है। निकोटिन तम्बाकू के पौधे में पाए जाने वाला एक अत्यधिक नशे की लत लगाने वाला रासायनिक पदार्थ है। निकोटिन नशे की अत्यधिक लत के अलावा गंभीर साइड इफ़ेक्ट के लिए भी जाना जाता है। यह ह्रदय, प्रजनन प्रणाली, फेफड़े, गुर्दे अदि पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। कई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक यह कैंसर जैसे घातक रोग पैदा करने की भी पुष्टि करता है। निकोटिन का एकमात्र ज्ञात उपयोग 17 वीं शताब्दी से कीटनाशक के रूप में किया जाता रहा है।

पान मसाला में मौजूद निकोटीन का प्रभाव सेवन करने वालों के व्यवहार पर पड़ता है।  निकोटीन , तंबाकू का सेवन करने वालों के व्यवहार को प्रभावित करता हैं तथा प्रभावित व्यवहार को और अधिक सुदृढ़ बनाता हैं। निकोटीन मस्तिष्क में रिसेप्टर्स को बांधता हैं, जहां पर यह मस्तिष्क के रक्तचाप  को प्रभावित करता है। निकोटीन अधिकतर पूरे शरीर, कंकाल मांसपेशियों में वितरित हो जाता है। व्यक्ति में नशे की अन्य आदतों वाले पदार्थों द्वारा गतिविधियों में सहनशीलता विकसित होती हैं। निकोटीन कार्बन मोनो ऑक्साइड रक्त में लेकर जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता हैं। यह सांस लेने में तकलीफ़ का कारण बनता है।

कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ वी पी सिंह से बातचीत पर आधारित 



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