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पंडारक सीताराम सिंह हत्याकांड मामले में राधाकृष्ण ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी, जस्टिस अमानुल्लाह के कोर्ट से केस ट्रांसफर की मांग

पंडारक सीताराम सिंह हत्याकांड मामले में राधाकृष्ण ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी, जस्टिस अमानुल्लाह के कोर्ट से केस ट्रांसफर की मांग

PATNA : पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिख कर जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के कोर्ट से केस वापस लेकर दूसरे जस्टिस के कोर्ट में स्थानांतरण करने की मांग की गई है। ये मांग राधाकृष्ण सिंह ने की है, जो 16 नवंबर 91 को पंडारक में हुए सीताराम सिंह हत्याकांड में मृतक के छोटे भाई और इंटरवेनर याचिकाकर्ता हैं।

राधाकृष्ण सिंह ने चीफ जस्टिस को लिखी चिट्ठी में लिखा, ‘ Cr. Misc No. -33116/2009 नीतीश कुमार बनाम बिहार सरकार एवं अन्य तथा Cr. Misc No. -14435/2009 योगेन्द्र प्रसाद बनाम बिहार सरकार एवं अन्य दोनों मुकदमा माननीय न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के खंडपीठ में काफी समय से चल रही है। न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह का बड़ा भाई अफजल अमानुल्लाह एवं परवीन अमानुल्लाह से नीतीश कुमार की बहुत नजदीकी है एवं इनके पूरा परिवार व्यक्तिगत रुप से लाभान्वित हो रहे हैं और एक ही मकान में रह रहे हैं। ऐसे में मुझे पूरा विश्वास हो गया है कि उपर्युक्त दोनों केस में माननीय न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह उचित न्याय नहीं कर पाएंगे ‘।

अपने पत्र में राधाकृष्ण सिंह ने आगे लिखा, ‘ उपर्युक्त दोनों केस में संज्ञान 05/08/2008 तथा 31/01/2009 को होने के बाद गवाहों का प्रलोभन एवं लाभान्वित करके एफिडेविट लिए गए हैं एवं गवाहों को सुरक्षा बल दिये हैं। वहीं मुझे योगेन्द्र प्रसाद यादव एवं अन्य बराबर धमकी देते रहते हैं, परंतु मुझे कोई सुरक्षा नहीं दी गई है। मै अपने परिवार का गुजारा बेमुश्किल से करता हूं। फिर भी न्याय के लिए अपने जान पर खेल कर अपनी बात रख रहा हूं ’।

चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में राधाकृष्ण सिंह ने आगे लिखा, ‘ उपर्युक्त तथ्यों एवं नेचुरल जस्टिस के आलोक में Cr. Misc No.- 33116/2009 नीतीश कुमार बनाम सरकार एवं अन्य तथा Cr. Misc No.-14435/2009 योगेन्द्र प्रसाद यादव बनाम सरकार एवं अन्य को माननीय न्यायाधीश अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के कोर्ट से वापस लेकर किसी अन्य माननीय न्यायमूर्ति पटना उच्च न्यायालय के कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए, ताकि मैं न्याय की उम्मीद कर सकूं ’।

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