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पप्पू यादव बिहार का वह बाहुबली जो था दबंग और आज बन गया है दयावान, सिनेमाई अंदाज में आगे बढ़ा सियासी सफर

पप्पू यादव बिहार का वह बाहुबली जो था दबंग और आज बन गया है दयावान, सिनेमाई अंदाज में आगे बढ़ा सियासी सफर

पटना. लीक से हटकर राजनीति करने के लिए प्रसिद्ध हो चुके राजीव रंजन उर्फ़ पप्पू यादव अब 55 वर्ष के हो गए. यानी 24 दिसम्बर को पप्पू यादव अपना जन्मदिन मना रहे हैं. बिहार के कोसी इलाके में दबंग छवि रखकर अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले पप्पू यादव को आज पूरा देश ‘दयावान’ के रूप में जानता है. चाहे दिल्ली में उपचार कराने जाने वाले बिहारियों को रहने-खाने की सुविधा उपलब्ध करानी हो, पटना में आई बाढ़ के दौरान पानी में घुसकर लोगों को मदद पहुंचाना हो या फिर कोरोना जैसे विकट काल में जरुरतमंदों को सहयोग करना. पप्पू यादव ने हालिया वर्षों में अपनी छवि एक ऐसा नेता के रूप में बनाई है जो किसी भी जगह होने वाली घटना के बाद मरहम लगाने सबसे पहले पहुंचते हैं. 

सिनेमाई अंदाज में राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाने वाले पप्पू यादव की शुरुआती पहचान बाहुबली के रूप रही. पप्पू की खास पहचान तब बनी जब वह 1990 में निर्दलीय विधायक बनकर बिहार विधानसभा में पहुंचे. उसके बाद का उनका सियासी सफर आपराधिक मामलों में विवादों से भरा रहा. कभी लालू यादव के सबसे खास नेताओं में गिने जाने वाले पप्पू के लिए ऐसा समय भी आया जब लालू यादव ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. बाहुबली पप्पू ने अपनी स्कूली शिक्षा सुपौल के आनंद मार्ग स्कूल से पूरी की है. इसके बाद पप्पू यादव ने मधेपुरा के बी एन मंडल विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया. इसके अलावा इग्नू से डिजास्टर मैनेजमेंट और ह्यूमन राइट्स में डिप्लोमा किया है.

पप्पू यादव का नाम राजनीति के गलियारों में सबसे पहली बार साल 1990 में सुनाई दिया. इस साल बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मधेपुरा की सिंहेश्वर सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद पप्पू यादव ने अगले ही साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद पप्पू यादव ने वापस कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

दो चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर लड़कर जीतने वाले पप्पू यादव इसके बाद समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. समाजवादी पार्टी का बिहार में कोई ख़ास वोट बैंक नहीं था. लेकिन पप्पू यादव ने 1996 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर पूर्णिया से चुनाव लड़ा और फिर से जीत हासिल करके लोकसभा पहुंचे. इसके बाद साल 1999 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने फिर से पूर्णिया से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

इसके बाद पप्पू यादव लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD में शामिल हो गए. पप्पू यादव ने साल 2004 में मधेपुरा सीट पर हुए उपचुनाव में आरेजडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. साल 2009 में जब पप्पू यादव को एक हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया और उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई तो RJD ने उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया. इसके बाद पप्पू यादव ने साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्णिया सीट पर अपनी मां को बतौर निर्दलीय उम्मीदवार खड़ा किया. हालांकि इस चुनाव में उनकी मां को हार का सामना करना पड़ा.

साल 2013 में जेल से रिहा होने के बाद पप्पू यादव वापस से RJD में शामिल हो गए. इसके बाद साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने प्रचंड मोदी लहर के बावजूद चार बार सांसद रहे शरद यादव को करीब 50 हजार वोटों के अंतर से हराया और पांचवी बार लोकसभा सांसद रहे. हालांकि इस चुनाव के करीब एक साल बाद ही मई 2015 में RJD ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते एक बार फिर से पप्पू यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. मौजूदा समय में पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं. वहीं पप्पू यादव लगातार बिहार में अपना और अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी (जाप) का जनाधार बढ़ाने में लगे हैं. 


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