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पश्चिम बंगाल चुनाव : प्रशांत किशोर के लिए टीएमसी में बगावती सुर, खराब हालत के लिए ठहाराया जिम्मेदार

पश्चिम बंगाल चुनाव : प्रशांत किशोर के लिए टीएमसी में बगावती सुर, खराब हालत के लिए ठहाराया जिम्मेदार

डेस्क... बिहार चुनाव में पूरी तरह दरकिनार किए गए प्रशांत किशोर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी में चुनावी रणनीतिकार के तौर पर जोड़ा, लेकिन अब यह गणित उल्टा पड़ता दिखाई देने लगा है। तृणमूल पार्टी के कई आला नेता और विधायक प्रशांत किशोर की रणनीति से नाराज चल रहे हैं और यहां तक कह डाला कि क्या हमें राजनीति प्रशांत किशोर से सीखने की जरूरत है। पार्टी में उठ रहे बगावती सुर को देखते हुए चुनाव से ऐन पहले ममता बनर्जी के लिए अब परेशानी बनती दिखाई दे रही है। तृणमूल के नेताओं का कहना है कि अगर चुनाव में पार्टी को झटका लगता है तो इसके जिम्मेदार सिर्फ प्रशांत किशोर ही होंगे। 

जब पब्लिक मीटिंग में तृणमूल कांग्रेस टीएमसी के विधायक नियामत शेख खुलेआम ये बातें कहते हैं तो पूरी तस्वीर सामने आ जाती है। इससे पता चलता है कि किस तरह टीएमसी के अंदर प्रशांत किशोर को लेकर नाराजगी है। कूचबिहार के विधायक मिहिर गोस्वामी भी अपना गुस्सा खुलकर दिखा चुके हैं। गोस्वामी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पूछा, 'क्या तृणमूल कांग्रेस सचमुच ममता बनर्जी की पार्टी है। ऐसा लग रहा है कि इस पार्टी को किसी कॉन्ट्रैक्टर के हाथ में सौंप दिया गया है...'। पश्चिम बंगाल से पहले टीएमसी में यह खटपट ममता बनर्जी के लिए बहुत बड़ा झटका है। कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी पहले ही अपने बगावती तेवर दिखा चुके हैं।


अपनी सभी सांगठनिक जिम्मेदारियों को पिछले महीने ही छोड़ चुके विधायक गोस्वामी ने कहा, '1989 से ही तमाम विपरित परिस्थितियों और तकलीफों का सामना करने के बावजूद टीएमसी को कभी नहीं छोड़ा। ऐसा केवल दीदी (ममता) की वजह से किया। लेकिन अब पार्टी बदल गई है। आप जी-हुजूरी करिये या फिर पार्टी छोड़ दीजिए।' एक अन्य विधायक जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया ने गोस्वामी की बातों का समर्थन किया।

इसी तरह मुर्शिदाबाद के हरिहरपारा से टीएमसी विधायक नियामत शेख ने रविवार को एक रैली में सीधे प्रशांत किशोर को टार्गेट किया। शेख ने कहा, 'सभी परेशानियों की वजह प्रशांत किशोर हैं। शुभेंदु अधिकारी ने मुर्शिदाबाद में पार्टी को मजबूत किया। और अब उनसे बात करने वाले नेताओं पर ऐक्शन लिया जा रहा है।' इन नेताओं का आरोप है कि पुराने चेहरों को दरकिनार कर नए लोगों को जगह दी जा रही है, जिनमें से कई ने पिछले चुनाव में बीजेपी को सपॉर्ट किया था।

दरअसल, पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 में से 18 सीटें बीजेपी ने जीती थी। इसके बाद ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर का सहयोग लिया। प्रशांत, ममता के भतीजे और लोकसभा सांसद अभिषेक बनर्जी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं पार्टी में प्रशांत का कद बढ़ गया है। सांगठनिक फैसले भी उनकी अनुशंसा पर हो रहे हैं। 

आपको बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के लिए चुनावी रणनीति का जिम्मा सौंपा था। जेडीयू को चुनाव में सफलता मिली और सरकार बन गई। इसके बाद प्रशांत किशोर को पार्टी उपाध्यक्ष से भी नीतीश ने नवाज दिया, लेकिन चुनाव के कुछ ही महीनों के बाद से प्रशांत किशोर को लेकर यहां भी बंगाल जैसी स्थिति देखने को मिली। प्रशांत किशोर ने स्थिति यहां तक बना दी कि मंचों से ही नीतीश कुमार को टारगेट करने लगे, इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी से पद लेने के साथ ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। स्थिति यह हो गई कि पूरे बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर कहीं नहीं दिखे। 

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