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जज्बे ने बनाया अधिकारी : पहले प्रयास में डीएसपी बनी वैशाली की प्रेरणा, कठिन परिश्रम से आकश और नीतीश ने मारी बाजी

जज्बे ने बनाया अधिकारी : पहले प्रयास में डीएसपी बनी वैशाली की प्रेरणा, कठिन परिश्रम से आकश और नीतीश ने मारी बाजी

VAISHALI : 68 वीं बीपीएससी परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया गया है। जिसमें वैशाली जिले के बिदुपुर की बेटी प्रेरणा सिंह ने पूरे बिहार में तीसरा स्थान हासिल किया है और डीएसपी पद पर चयनित हुई है। जिससे प्रेरणा के गांव से लेकर पटना के हॉस्टल तक खुशी का माहौल है। यूपीएससी में दो दो बार असफल होने के बाद रिश्तेदार ताना देते थे। जिससे और प्रेरणा मिली और आज डीएसपी बनकर ताना देने वालो को करारा जवाब दिया है। प्रेरणा ने बताया कि वह दो बहन और एक भाई में सबसे बड़ी है और झारखंड के धनबाद स्थित डी नौबली स्कूल सीएमआरआई से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त किया। उसके बाद वर्द्धमान यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। जिसके बाद से ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की। लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। जिसके बाद पिता ने बीपीएससी की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई।

पिता निरंजन सिंह और मां शीला सिंह दोनो ही झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता है। छोटी बहन एक्सिस बैंक में डेटा साइंटिस्ट है जबकि छोटा भाई आईआईटी धनबाद से पढ़ाई कर रहा है। प्रेरणा सिंह पिछले एक साल से पटना के बोरिंग रोड स्थित गर्ल्स हॉस्टल में रहकर सेल्फ स्टडी कर रही है। प्रेरणा ने बताया कि आज उनका सपना पूरा हो गया है और आगे यूपीएससी की तैयारी करेंगी। प्रेरणा के माता पिता शादी समारोह में भाग लेने के लिए वाराणसी गए है जिन्हें फोन पर जानकारी मिली। जिसके बाद माता पिता दोनो बहुत खुश है। प्रेरणा ने बताया कि जो बच्चे तैयारी कर रहे है। उन्हें असफलता से घबराना नहीं चाहिए और प्रयास करते रहना चाहिए। कठिन मेहनत और लगन से सफलता जरूर मिलेगी।

वहीँ नवादा के लाल नीतीश पाठक ने अपने पहले ही प्रयास में 68 वे बीपीएससी की संयुक्त परीक्षा में 36 वां स्थान लेकर आरडीओ बने है। वारसलीगंज थाना क्षेत्र के कुटरी गांव निवासी अश्विनी पाठक के छोटे पुत्र नीतिश पाठक ने पहले प्रयास में ही सफलता पाई है। बेहद कम उम्र में ही उन्होंने यह सफलता प्राप्त की है। उन्हें मलाल है कि 68 वें बीपीएससी में एसडीएम का पद नहीं था। वरना उन्हें इस बार पहले ही प्रयास में एसडीएम का पद मिल जाता। उन्होंने 2013 में गांव के ही हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और 2015 में एसएन सिन्हा वारसलीगंज कॉलेज से इंटर किया। वहीं से ग्रेजुएशन कर तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। जहां कड़ी मेहनत के बाद वह सफल हुए। उन्होंने कहा कि यूपीएससी से आइएएस बनना उनका सपना है और उसकी तैयारी में वह निरंतर लगे हुए हैं। उनके पिता ने बताया कि कड़ी मेहनत और समुचित गाइडलाइन से ही उनका बेटा आज इस मुकाम तक पहुंच सका है।

उधर पश्चिम चंपारण के एक होनहार ने अपना नाम रोशन किया है। बीपीएससी परीक्षा में टॉपर की सूची में शामिल आकाश कुमार पश्चिम चंपारण के एक छोटे से गांव से अपनी पढ़ाई शुरू कर सफलता हासिल की। अपने गांव से ही हाई स्कूल किया और फिर आज टॉपर की 9 वा रैंक हासिल करने के बाद बिहार शिक्षा सेवा में स्थान पाया है। जिले के साठी थाना क्षेत्र के दुमदुमवा गांव के रहने वाले आकाश कुमार के पिता बृजेश ठाकुर एक प्रवासी मजदूर व किसान है। वही माता सरिता देवी गृहिणी है। चार भाइयों में आकाश सबसे बड़े हैं। आकाश ने प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हासिल की और साठी के बलिराम हाईस्कूल से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी से सफल हुए। वही मोतिहारी के मुंशी सिंह महाविद्यालय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद आकाश स्नातक के लिए बनारस चले गए। बनारस के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद आकाश सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। आकाश ने बताया की सेल्फ स्टडी व कडी मेहनत के बदौलत पहले ही प्रयास में असफलता हासिल की है। साथ ही उन्होने कहा की जो पढे वह लगन से पढे निश्चित ही कामयाबी मिलेगी । वही आकाश के पिता बृजेश ठाकुर ने बताया की हम एक प्रवासी मजदूर सह किसान है। बच्चे की पढाई मे किसी तरह का कोई परेशानी ना हो। इसके लिए बाहर जाकर मजदूरी भी करते थे।

वैशाली से अमरेश, नवादा से अमन और बेतिया से आशीष की रिपोर्ट

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