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सुंदर संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी, अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों में संस्कार के बीज डालें...

सुंदर संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी, अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों में संस्कार के बीज डालें...

PATNA: सुंदर संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी है। आज अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों में सुंदर संस्कार के बीज डालें। बच्चों के विचार और संस्कार उनके आचरण एवं व्यवहार में उतरना चाहिए।तभी हमारी शिक्षा सही मुकाम पर पहुंचेगी। निःसंदेह राजऋषि आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज अपने विद्यालयों में ऐसा कार्य बड़ी ईमानदारी से कर रहे है।हम इसके लिए उन्हें तहेदिल से मुबारकबाद देते हैं। 

ये सारी बातें बिहार के पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रास बिहारी सिंह ने आचार्य श्री सुदर्शन पटना सेंट्रल स्कूल में आयोजित वार्षिकोत्सव में शिक्षकों, अभिभावकों एवं बच्चों को संबोधित करते हुए कहीं।

 इस अवसर पर प्रो.डॉ. श्री रास बिहारी प्रसाद सिंह,कुलपति, पटना विश्वविद्यालय एवं प्रो.एन. के. झा डीन छात्र कल्याण पटना विश्वविद्यालय मौजूद थे।संस्था के उपाध्यक्ष डॉ. श्री बी.के. सुदर्शन ने अतिथियों का स्वागत बुके प्रदान कर किया।

अपने  उद्घाटन भाषण में प्रो.एन.के.झा ने कहा कि वच्चो को शिक्षा के साथ उन्हें स्वास्थ्य और कौशल की भी सिख मिलनी चाहिए।खेल कूद ,नृत्य संगीत से बच्चों की आंतरिक कला को बिकसित होने का अवसर मिलता है जो राज्य की बौद्धिक उन्नति के लिए जरूरी है।

संस्था के संस्थापक राजऋषि आचार्य श्री सुदर्शन जी महाराज ने शॉल,प्रतीक चिह्न एवं स्वरचित ग्रंथ गीता के द्वारा अतिथियों को सम्मानित किया। अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित के साथ कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया।

वहीं कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए  आचार्य सुदर्शन जी महाराज जी ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य बच्चो में शिक्षा के साथ-साथ  अच्छे संस्कार सीखाना है। आज हमारा समाज आपस मे बटकर अपने परिवार तक ही सिमित हो गया है, जिसके कारण बच्चो को रिश्तो की महत्ता का ज्ञान नही है। इसलिए वार्षिक उत्सव की थीम का नाम रिश्ते रखा है ताकी  बच्चो को रिश्तो में बांधकर, रिश्तों  के महत्व को सिखाया जा सके। 

साथ ही यह भी कहा कि  हमने अपने विद्यालय को तनावमुक्त बनाने के लिए बच्चो में नैतिकता ब आत्म निर्भरता  पैदा करने के लिए जीवन जीने की कला को पाठ्यक्रम  में समाविष्ट किया है।


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