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विश्वविद्यालयों की स्वीकृत बजट राशि दस दिन में करें रिलीज, पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को दिया निर्देश

विश्वविद्यालयों की स्वीकृत बजट राशि दस दिन में करें रिलीज, पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को दिया निर्देश

पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा विभाग द्वारा अब तक स्वीकृत बजट की राशि को दस दिनों में निर्गत करने का निर्देश दिया है।जस्टिस अंजनी कुमार शरण ने विभिन्न विश्वविद्यालयों  द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य के तीन विश्वविद्यालयों,कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय,दरभंगा,वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा व मुंगेर विश्वविद्यालय के  खातों को फ्रिज करनें के आदेश पर रोक लगा दिया।पिछली सुनवाई में  कोर्ट ने विश्वविद्यालयों के खातों को फ्रीज़ करने के आदेश पर रोक लगा दिया था।

मगध विश्वविद्यालय के अधिवक्ता सिद्दार्थ प्रसाद ने बताया कि  यदि  राज्य सरकार पूर्व में  राज्य के विश्व विद्यालयों के बजट  में स्वीकृत धनराशि दस  दिनों  में  निर्गत नहीं करती,तो शिक्षा विभाग के सभी वरीय पदाधिकारीगण का वेतन रोक दिया जायेगा।  पिछली सुनवाई में लम्बी सुनवाई के बाद सभी पक्षों के बीच आपसी सहमति से बैठक करने के मुद्दे पर बात बनी। विश्वविद्यालयों के वीसी शिक्षा विभाग के साथ बैठक करने में अपनी सहमति दी।

उनका कहना था कि बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में होना चाहिए।किसी के साथ बदसलूकी नहीं होनी चाहिए।इस बात पर शिक्षा विभाग की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया था कि वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ पूरी बैठक होगी। उनका कहना था कि शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र जारी कर कहा हैं कि विश्वविद्यालयों की परीक्षा का ससमय संचालन पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी।बैठक में भाग नहीं लेने पर विभाग ने विश्वविद्यालयों के सभी खातों के संचालन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गयी।

 कोर्ट को बताया गया था कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग वीसी को बैठक में भाग लेने के लिए नहीं बुला सकती।उनका कहना था कि वरीयताक्रम में चांसलर सबसे ऊपर होते हैं। उसके बाद वीसी फिर प्रोवीसी होते हैं।उसके बाद विभाग के सचिव का नम्बर आता हैं। ऐसे में विभाग के सचिव और निदेशक बैठक में भाग लेने के लिए वीसी को  नहीं बुला सकते।

वही राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा था  कि जितना पैसा विश्वविद्यालयो को दी जा रही हैं, उस पैसा को छात्रों को दे दिया जाये, तो वे बेहतर शिक्षा ग्रहण कर लेंगे। उनका कहना था कि राज्य सरकार लगभग 5 हजार करोड़ रुपये देती हैं और शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों के तुलना में काफी खराब है।उनका कहना था कि विभाग थोड़ी कड़ाई  क्या की गई कि सभी बिचलित हो गये। छात्रों का भविष्य अंधकारमय हैं।उन्होंने बताया कि कोई भी विश्वविद्यालय समय पर परीक्षा नहीं ले रहा है।परीक्षा समय पर लेने के लिए बैठक बुलाई गई,तो वीसी भाग नहीं लिये।

उनका कहना था कि कोर्ट में सभी कानून की बात कर रहे हैं, लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि आखिर किस कानून के तहत विश्वविद्यालय पीएल खाता में पैसा रखते हैं। जबकि चांसलर की ओर से वरीय अधिवक्ता डॉ केएन सिंह और राजीव रंजन कुमार पांडेय ने कोर्ट को बताया था कि प्रदेश के छात्रों के उज्ज्वल भविष्य को देखते हुए सभी को आपसी मतभेद मिटा कर बैठक में भाग लेना चाहिए। इस मामलें पर अगली सुनवाई 25 जून,2024 को निर्धारित की गई है ।

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