PATNA : पटना हाईकोर्ट ने विभागीय कार्यवाही को संचालित करने वाले पदाधिकारियों को सही तौर से प्रशिक्षित करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया। जस्टिस पी बी बजन्थरी ने संजय कुमार की याचिका पर वर्चुअल रूप से सुनवाई करते यह आदेश को पारित किया।
दरअसल, सचिवालय के गृह विभाग में कार्य करने वाले एक सेक्शन ऑफिसर को 7 हजार रुपये घुस लेते हुए विजिलेंस ने वर्ष 2016 में ट्रैप केस में पकड़ा था। उसके बाद याचिकाकर्ता को जेल जाना पड़ा था। मुकदमा दर्ज किया गया। विभागीय कार्यवाही चला और वर्ष 2018 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। वर्ष 2019 के फरवरी महीने में याचिकाकर्ता ने कोर्ट का दरबाजा खटखटाया। इसमें याचिकाकर्ता ने विभागीय कार्यवाही में बरती गई खामियों को रखा था। इन सब बातों के मद्देनजर कोर्ट ने बिहार गवर्नमेंट सर्वेंट्स को बिहार सी सी ए रूल्स, 2005 से जुड़े हुए मामलों को संचालित करने वाले अधिकारियों को प्रशिक्षण देने को कहा।
इस प्रकार किसी भी सरकारी सेवक के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई के लिए प्रक्रिया का पूरे तरीके से पालन किया जा सके। कोर्ट का कहना था कि इस प्रकार के ढेर सारे मामले कोर्ट के समक्ष आ रहे हैं, जिसमें प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। कोर्ट ने मौखिक रूप से तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्यों नहीं इसे अधिकरियों की मिलीभगत माना जाए ? कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने के आदेश को खारिज करते हुए, अपीलीय प्राधिकार के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसके जरिये बर्खास्तगी को सही ठहराया गया था। इसके साथ ही कोर्ट ने उक्त मामले को नए सिरे से देखने को लेकर राज्य सरकार के समक्ष भेज दिया और याचिका को निष्पादित कर दिया।