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बस एक चूक और पटना मेयर की कुर्सी गई...एक चहेते पार्षद के उतरते ही दिलचस्प हुआ खेल

बस एक चूक और पटना मेयर की कुर्सी गई...एक चहेते पार्षद के उतरते ही दिलचस्प हुआ खेल

पटनाः डिप्टी मेयर की कुर्सी जाने के बाद अब मेयर की  कुर्सी पर भी तलवार लटक गई है।मेयर की स्थायी समिति दो फाड़ में बंट गई है।निगम के मंत्रियों के बीच ही डिप्टी मेयर की कुर्सी को लेकर जंग छिड़ी हुई है। एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे समिति के सदस्य अब खुलकर एक दूसरे के विरोध में उतर गए हैं। मेयर के दुलरुआ कहे जाने वाले  और सुबह से शाम तक उनके लिए दूत बनकर घूमने वाले मंत्री जी के खिलाफ पार्षदों की टीम खड़ी हो रही है। इससे एक बड़ा पार्षद ग्रुप बैकफूट पर है। इसी विरोध का फायदा उठाकर पूर्व उप महापौर विनय कुमार मेयर की कुर्सी पर धावा बोलने की तैयारी में जुटे गए हैं। बस एक चूक और मेयर की कुर्सी गई... 

दीपारानी के उतरते ही दिलचस्प हुआ खेल

वार्ड नंबर पांच की पार्षद और नगर निगम सशक्त स्थायी समिति की सदस्य दीपारानी खान के मैदान में उतरते ही खेल दिलचस्प हो गया है। उन्होंने अपनी मंशा साफ करते हुए कहा है कि मेयर औऱ डिप्टी मेयर दोनों महिला पार्षद के पास होने से विकास को गति मिलेगी। पढ़ी लिखी होने के कारण उनका साथ 10 से 15 पार्षद देने को तैयार भी हैं। 

 उन्होंने स्थायी समिति के दूसरे साथी इंद्रदीप चंद्रवंशी को वोट देने से साफ तौर पर मना कर दिया है। जबकि वार्ड सात के पार्षद जय प्रकाश सहनी इनका समर्थन कर रहे हैं। वार्ड 38 के पार्षद डॉ. आशीष सिन्हा की दावेदारी भी मजबूत है। आखिरकार उन्होंने विनय कुमार के खिलाफ पिछला चुनाव भी लड़ा है। साथ ही पूर्व में मेयर के विरोधी रहने के कारण इस बार उन्हें हर हाल में अपने गुट में शामिल करने की कोशिश लगातार जारी है। 

जारी है रुठने मनाने का खेल

डिप्टी मेयर की कुर्सी पर मेयर द्वारा फैसले की बात अब संभव नहीं है। एक साथ आधा दर्जन से अधिक उम्मीद होने के कारण इसके पर कोई जारी नहीं है। पार्षद मेयर पर एक साथ कई लोगों को डिप्टी मेयर बनाने का आश्वासन देने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं विरोध गुट लगातार मेयर की एक गलती का इंतजार कर रहा है। बस एक मौका और सबसे बड़ी कुर्सी पर डाका डाल दिया जाएगा। 


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