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पटना-उत्तरी बिहार के लोगों को तीन दशक की परेशानी से मिलेगी मुक्ति, आज से गांधी सेतु के दोनों छोर से दौड़ेंगी गाड़ियां, नितिन गडकरी करेंगे उद्घाटन

पटना-उत्तरी बिहार के लोगों को तीन दशक की परेशानी से मिलेगी मुक्ति, आज से गांधी सेतु के दोनों छोर से दौड़ेंगी गाड़ियां, नितिन गडकरी करेंगे उद्घाटन

PATNA  : कभी एशिया के सबसे लंबे पुल होने का गौरव  रखनेवाले पटना हाजीपुर के बीच गंगा नदी पर गांधी सेतु के इतिहास में आज से एक नया अध्याय जुड़ जाएगा। आज से गांधी सेतु के पूर्वी लेन का उद्घाटन किया जा रहा है। इसके साथ ही  पुल के दोनो हिस्सों को अब  लोहे और स्टील की दीवारों से मजबूत कर दिया गया है। आज पुल के उद्घाटन होने के साथ पटना और उत्तर बिहार के लोगों को तीन दशक  से भी ज्यादा समय तक जाम की समस्या से भी मुक्ति मिल जाएगी।

आज नितिन गडकरी करेंगे उद्घाटन

गांधी सेतु के पूर्वी लेन का आज उद्घाटन होना है। उद्घाटन समारोह के लिए विशेष तैयारी की गई है. पंडाल में बैठने की व्यवस्था, आने-जाने की सुविधा, गाड़ियों की पार्किंग की सुविधा के अलावा कार्यक्रम के दौरान गांधी सेतु और इससे जुड़े सड़कों पर जाम न लगे, इसका खास ख्याल रखा गया है। समारोह में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार (CM Nitish Kumar) के अलावा कई केंद्रीय मंत्री, बिहार सरकार के मंत्री, सांसद और विधायक मौजूद हैं। उद्घटान के बाद आम जनता के लिए गांधी सेतु के नवनिर्मित लेन को खोल दिया जाएगा।


पांच साल में हुआ पूर्ण

बता दें कि 15 जून 2017 से पूर्वी लेन के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था। जिसकी अनुमानित लागत 1382.40 करोड़ थी लेकिन बाद में यह बढ़कर लभगभ 21 सौ करोड़ हो गया है। इसके निर्माण में 66360 मीट्रिक टन स्टील, 25 लाख नट वोल्ट के अलावा 460 एलईडी लाइट भी लगाया गया है। सेतु के पूर्वी लेन की लम्बाई 5 किलोमीटर 575 मीटर है। कभी एशिया के सबसे बड़े ब्रिज का तमगा हासिल इस सेतु के बन जाने से उत्तर बिहार को बड़ी राहत मिलेगी. सेतु पर दो मीटर का फुटपाथ बनाया गया है. जिस पर साइकिल और पैदल लोग आवाजाही कर सकते है. इसके अलावा पहली बार इस सेतु में यूटिलिटी कॉरिडोर भी बनाया गया है।

एक पूरी पीढ़ी बड़ी हो गई जाम से जूझते जुझते

पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय में गांधी सेतु और जाम का रिश्ता ऐसा बन गया था कि दस मिनट पर पुल के सफर को पूरा करने में कई कई घंटे लग जाते थे। शायद ही कोई दिन ऐसा रहा होगा, जब जाम से नहीं जूझना पड़ा हो। इन तीन दशकों में एक पूरी पीढ़ी बचपन से अब बड़ी हो गई। जो बड़े थे, अब अपने आखिरी पड़ाव में पहुंच गए। इनके पास  गांधी सेतु के जाम को लेकर कई यादें हैं। लेकिन अब शायद पुल के नए सिरे से बनने के बाद यह यादें सिर्फ यादें बनकर रहेंगी। इस बात की उम्मीद है।


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