पटना. हाईकोर्ट ने एफआईआर दर्ज होने के चार वर्षों के बाद भी अंतिम प्रपत्र दायर नहीं होने पर पटना के एसएसपी को कोर्ट में हाज़िर होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। जस्टिस मोहित कुमार शाह ने सुनवाई की। कोर्ट ने सावित्री देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना के एसएसपी से स्पष्टीकरण मांगा है कि आख़िर 2018 में दायर प्राथमिकी में अब तक अंतिम प्रपत्र दायर क्यों नहीं किया गया ? याचिकाकर्ता के पति पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग में सहायक निदेशक के पद से सेवानिवृत हुए थे।
याचिकाकर्ता ने अपनी रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि उनके पति को याददाश्त की समस्या थी। वे 20.12.18 को शनि मंदिर, भूतनाथ रोड (पटना) से लापता हो गए थे। इसके विरुद्ध उनके पुत्र ने उसी दिन अगमकुआँ थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। लेकिन चार वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो उनका कुछ पता चला और न तो पुलिस ने अनुसंधान के संदर्भ अंतिम प्रपत्र दायर किया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अपूर्व हर्ष ने कोर्ट को बताया कि पुलिस के उदासीन रवैये से याचिकाकर्ता को उसके पति का पेन्शन चार साल तक नहीं मिल सका है।
उन्होंने 24.02.1990 को राज्य सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना संदर्भ देते हुए कहा कि यदि संबंधित सरकारी पेंशनर के आश्रित परिवार द्वारा निकटवर्ती थाने में उसके लापता होने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई हो। साथ ही पुलिस प्रतिवेदन से यह प्रमाणित होता हो कि सभी संभव प्रयास एवं खोजबीन के बावजूद उसके लापता होने की बात सही है, तो सर्वप्रथम सरकारी सेवक द्वारा पूर्व में दिए गए नामांकन पत्र के आधार पर उसके आश्रित परिवार को बकाए वेतन, भविष्य निधि आदि में का भुगतान तुरंत किया जाए। इस पर कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पटना के एसएसपी को 17 अक्टूबर,2022 को कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।