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पटना यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर्स की बढ़ी परेशानी, कोरोना काल में भी नहीं बढ़ी थीसिस जमा करने की अवधि

पटना यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर्स की बढ़ी परेशानी, कोरोना काल में भी नहीं बढ़ी थीसिस जमा करने की अवधि

PATNA : एक ओर जहाँ बिहार के शिक्षा मंत्री उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने में लगे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर छात्र कोविड-19 से उत्पन्न हुई परिस्थियों से लगातार जूझ रहे हैं। ताज़ा मामला पटना यूनिवर्सिटी के पीएचडी स्कॉलर्स  का है। इन स्कॉलर्स का भविष्य भी कोरोना के कारण अधर में लटका है।

बताते चलें की कोरोना पिछले साल से लगातार तबाही मचा रहा है। इसका असर साफ तौर पर शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा है। ताजा मामला पटना यूनिवर्सिटी के पीएचडी शोधार्थियों का है जिनका भविष्य अधर में लटक गया है। जून 2021 में जिन रिसर्च स्कॉलर्स को अपनी थीसिस जमा करनी थी। वे कोरोना के दौरान अपने विषय पर काम नहीं कर पाने के साथ ही कोरोना की दूसरी लहर से प्रभावित हुए और अपना थीसिस ससमय नहीं जमा कर पाए हैं। इसी दौरान बिहार में राज्य सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी में ग्रीष्म अवकाश को भी रद्द किया गया और कोरोना की दूसरी लहर में यूनिवर्सिटी की कई गतिविधियां भी बाधित रहीं। थेसिस नहीं जमा होने के कारण कई छात्र परेशान है और डिप्रेशन में चले गए हैं। क्योंकि उनके भविष्य का सवाल है । पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों का यह भी कहना है कि UGC की तरफ से जारी नोटिस के अनुसार उन्हें पहले लगा कि रिपोर्ट जमा करने के लिए उन्हें भी एक्सटेंशन मिल गया है। वहीं अन्य शोधार्थियों के अनुसार कोरोना की जिन परिस्थितियों में पिछली बैचों की समय सीमा को UGC ने बढ़ाया। परिस्थिति की मार तो वे भी झेल रहे थे तो उनके लिए भी देर सवेर नोटिस आ जाएगी। इसी दौरान बिहार की कई यूनिवर्सिटी जैसे मगध और वीर कुंवर सिंह  यूनिवर्सिटी व कई अन्य  ने एक्सटेंशन को लेकर अपनी तरफ से नोटिस भी जारी कर दिया। लेकिन पटना यूनिवर्सिटी ने अपने रिसर्च स्कॉलर्स के लिए अपनी तरफ से और ना ही UGC ने इसको लेकर देश भर के शोधार्थियों के लिए नोटिस जारी किया। इसी इंतज़ार और उम्मीद में 35 से ज्यादा शोधार्थी ससमय अपनी थीसिस जमा नहीं कर पाए।

इस मामले को लेकर कॉलेज प्रशासन का कहना है कि रिसर्च स्कॉलर्स की मांग को लेकर यूनिवर्सिटी ने पूर्व नोटिस को लेकर UGC सेक्रेटरी को अप्रैल में मेल कर क्लैरिटी मांगा था। साथ ही राज्य की परिस्थितियों का हवाला देते हुए एक्सटेंशन की बात की थी लेकिन अप्रैल के बाद जून में रिमाइंडर लेटर मेल करने के बावजूद UGC की तरह से कोई जवाब नहीं आया है। ऐसे में युवा और अनिश्चितता के कारण फंस चुके हैं

शोधार्थियों का कहना है कि या तो UGC देश भर के छात्रों का हित देखते हुए सभी को एक्सटेंशन दे दे। विपरीत परिस्थिति में नहीं तो बिहार के राज्यपाल, शिक्षा मंत्री साथ ही पटना यूनिवर्सिटी मामले की पृष्ठभूमि व रिसर्च स्कॉलर्स के भविष्य का सोचते हुए अपने तरफ से उनके एक्सटेंशन को कम से कम 6 महीने आगे बढ़ा दे ताकि वो अपने रिसर्च पूरा करने की खानापूर्ति नहीं वाकई उसपर थोड़ा और समय देकर काम कर सकें। अब देखना होगा कि छात्रों के इस मांग पर यूजीसी और पटना यूनिवर्सिटी कितना अमल कर पाती है।

पटना से वंदना की रिपोर्ट

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