राजभवन के नाम पर भुगतान के लिए बिहार के इस विवि पर बनाया जा रहा है दबाब, राज्यपालCM से हुई शिकायत
PATNA : बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था में सबकुछ सही नहीं है। कुछ दिन पहले ही मगध विवि के वीसी के घर और दूसरे ठिकानों पर हुए छापेमारी करोड़ों रुपए नगदी सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे। अब एक और विवि में फर्जी भुगतान का मामला सामने आया है। जिसमें इस बार खुद विवि के वीसी ने राज्यपाल फागू चौहान और प्रदेश के सीएम को चिट्ठी लिखकर इस बाद की जानकारी दी है।
राजभवन का नाम आया सामने
सोमवार को मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुद्दुस ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि कर्मचारी और कॉपी के लिए फर्जी भुगतान करने का उनपर दबाव बनाया जा रहा है। अपने लैटर में उन्होंने दो मोबाइल नंबर का जिक्र करते हुए कहा कि लखनऊ के अतुल श्रीवास्तव नामक व्यक्ति ने राजभवन के नाम पर फोन कर भुगतान करने का दबाव बनाया।
विवि में चल रहा है लूट का खेल
वीसी ने अपने पत्र में लिखा है कि विश्वविद्यालयों में लूट का खेल चल रहा है। इस खेल में बड़ा गिरोह कार्य कर रहा हैइ इस दौरान उन्होंने उत्तर पुस्तिका खरीद के टेंडर में कार्यकारी/प्रभारी कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप की भूमिका की जांच की भी मांग की है।
45 की जगह मैनपावर 80 मैनपावर के लिए मांगा पैसा
राज्यपाल व मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र के अनुसार पटना की रिद्धि-सिद्धि आउटसोर्सिंग एजेंसी को 19 अगस्त को 45 मैनपावर आपूर्तिं के लिए टेंडर फाइनल किया गया। इसके बाद एजेंसी की ओर से 80 मैनपावर के भुगतान के लिए बिल भेज दिया गया। जब भुगतान के लिए फाइल रोकी गई, तब अतुल श्रीवास्तव नाम के एक व्यक्ति ने राजभवन के पीबीएक्स नंबर से खुद को अधिकारी बताकर भुगतान के लिए दबाव बनाया। इसके बाद भी जब भुगतान का आदेश नहीं किया गया, तब पुरानी तिथि से ही एक और 80 मैनपावर आपूर्ति का पत्र कुलसचिव ने कुलपति के समझ रखा।
7 रुपए की जगह 16 रुपए की दर से दिया कॉपी का आर्डर
वीसी प्रो. कुद्दुस ने अपने लैटर में इस बात का जिक्र किया है कि पहले सात रुपये पर प्रति कॉपी की दर से लखनऊ के बीके ट्रेड्स के यहां छपाई होती थी। कार्यकारी कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने इसे बढ़ाकर 16 रुपये प्रति कॉपी कर दी। साथ ही एक लाख 60 हजार कॉपी का ऑर्डर दे दिया। जब कॉपी छप कर आई तो 28 लाख रुपये का बिल भेजा गया। कुलपति ने जब घालमेल देख तो एजेंसी को आपूर्ति से मना कर दिया। यह बात भी सामने आई है कि यही एजेंसी मगध विश्वविद्यालय में भी कापी उपलब्ध कराती थी। जिनमें एमयू के वीसी के यहां छापेमारी हुई थी।
परीक्षा जरुरी थी, इसलिए करना पड़ा भुगतान
प्रो. कुद्दुस ने बताया कि उस समय परीक्षा की तारीख घोषित हो चुकी थी, इस परीक्षा के चलते 22 लाख रुपये का भुगतान मजबूरी में कर दिया गया। हालांकि, जीएसएम मापदंड का पालन नहीं करने पर छह लाख रुपये का भुगतान रोक दिया गया। अब इसी छह लाख रुपए के लिए राजभवन से कुलपति को एजेंसी को पेमेंट के लिए विजय सिंह नाम के व्यक्ति ने भी फोन किया।
जांच के लिए बनाई गई समिति
कुलपति ने बताया कि दोनों मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है। यह कमेटी तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। एफओ पंकज कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। इसमें परीक्षा नियंत्रक प्रो. शौकत अली व एजाज आलम शामिल हैं।