पटना : आज के भौतिकवादी युग ने हमारे जीवन को बहुत ही सुविधाजनक एवं आरामदायक बना दिया है । वर्त्मान जीवन शैली ने जहां एक तरफ बहुत सारी सुविधाएं तो मुहैया कराई है वहीं दूसरी तरफ बहुत सारी बीमारियों का भी बीजारोपण कर दिया है जिसका भुक्तभोगी भी वर्तमान समाज ही है। आधुनिक जीवन शैली के कुप्रभाव से जनित बीमारियों में से एक बीमारी है नि:संतानतता। वैसे तो नि:संतानतता के कई कारण हैं लेकिन उनमें से मुख्य है PCOD.
PCOD क्या है ?
पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज यह आजकल काफी कॉमन हो गया है । यह देखा गया है कि हर पांच में से एक महिला में POCD से ग्रसित है।
PCOD बिमारी के लक्षण
भौतिकवादी जीवनशैली काफी हद तक इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है। पीसीओडी जिन महिलाओं को होती है उनकी महावारी अनियमित हो जाती है । जैसे माहवारी डेढ़ से 2 महीने पर आना या किसी दवाई खाने पर ही आना , शरीर पर अनुवांशिक बालों का होना , चेहरे पर मुहांसों का होना आदी।
POCD से ग्रस्त महिलाओं के अंडाशय में बहुत सारे छोटे-छोटे सिस्ट नजर आते हैं जो देखने में मोतियों की माला जैसी दिखती है। POCD से पीड़ित महिलाओं का वजन भी ज्यादा होता है। उपरोक्त लक्षण के दिखते ही स्त्री रोग विशेषज्ञ से इस बीमारी का इलाज करवाना चाहिए ।
PCOD से बचने के उपाय
इस बीमारी के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण है वजन कम करना। यदि 10 प्रतिशत वजन भी किसी महिला का कम होता है तो उससे यह बीमारी काफी हद तक ठीक हो सकती है । खान पान पर भी विशेष ध्यान देना होता है। फास्ट फूड जैसे खानों पर जैसे चाऊमीन, पिज्जा, बर्गर का कम से कम सेवन करना चाहिये।
PCOD के दूरगामी प्रभाव
यह बीमारी यदि ठीक नहीं की गई तो बाद में ऐसी महिलाओं मैं निसंतानता कि बीमारी भी होने का डर रहता है। हार्मोनल इंबैलेंस के कारण इनमें एंडोमेट्रियम कैंसर और डायबिटीज भी होने का खतरा रहता है। PCOD से ग्रसित महिलाओं में यह देखा गया है कि हॉरमोनल इंबैलेंस के कारण उनके अंडे सही तरह से विकसित नहीं होते हैैं और सही समय पर फूटते नहीं है जिसके कारण वे निसंतानता की बिमारी से ग्रसित हो जाती हैं।
डॉ अनुजा सिंह (चीफ इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट) इंदिरा आईवीएफ, पटना ने बताया कि इन महिलाओं को इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए जहां पर दवाइयां , आईयूआई और आईवीएफ की मदद से उन्हें संतान प्राप्ति करवाई जा सकती है।