NEW DELHI: पेगासस जासूसी मामले पर सोमवार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने इस मामले पर कोर्ट में हलफनामा दायर किया और कहा कि वह कथित पेगासस जासूसी की जांच के लिए एक्सपर्ट की कमेटी बनाई जाएगी। केंद्र सरकार कई बार इस बात का खंडन कर चुकी है कि उसने पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जांच के लिए 10 दिन का पर्याप्त समय दिया है। याचिका में कहा गया कि पत्रकारों, नेताओं, स्टाफ की स्पाइवेयर से जासूसी का दावा अनुमानों पर आधारित है। इस मामले में फैलाई गई गलत धारणाओं को दूर करने के लिए जांच कराने का फैसला लिया है। साथ ही पेगासस को बनाने वाले इजरायल के एनएसओ ग्रुप का बयान भी कोर्ट के सामने रखा गया है। एनएसओ यह कह चुका है कि वह किसी देश की सरकार को ही स्पाईवेयर बेचता है। ऐसे में केंद्र सरकार विपक्ष के कटघरे में है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि वह सरकार से पूछे कि क्या उसने पेगासस खरीदा और उसका इस्तेमाल किया? अगर सरकार ने सीधे इसे नहीं खरीदा तो क्या उसके किसी अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इसे खरीदा?
क्या है पेगासस स्पाईवेयर
पेगासस एक स्पाईवेयर है, जिसे इजरायली फर्म बनती है। इसको बनाने का मुख्य उदेश्य आतंकियों को ट्रैक करना है। इसकी सप्लाई सिर्फ किसी सरकार को ही की जाती है, किसी निजी कंपनी को नहीं।
क्या है पेगासस मामला
रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली स्पाईवेयर के मदद से भारत में कई नेताओं, पत्रकारों और सार्वनिक जीवन से जुडे लोगों के फ़ोन हैक करने की बात कही गयी है। रिपोर्ट में 150 से ज्यादा लोगों की फ़ोन हैक करने की बात की गयी है।
लिस्ट में किन-किन लोगों के नाम शामिल हैं
इस लिस्ट में 40 पत्रकार, तीन विपक्ष के बड़े नेता, एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति, मोदी सरकार के दो मंत्री और सुरक्षा एजेंसियों के मौजूदा और पूर्व हेड समेत कई बिजनेसमैन शामिल हैं। ये पत्रकार हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, टीवी-18, द हिंदू, द ट्रिब्यून, द वायर जैसे संस्थानों से जुड़े हैं। इनमें कई स्वतंत्र पत्रकारों के भी नाम हैं।