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मंदिर सहयोग के लिए लोग देते हैं चंदा, लेकिन लापरवाही के कारण नोट सड़े-गले हाल में निकलता है बाहर, देख लीजिए

मंदिर सहयोग के लिए लोग देते हैं चंदा, लेकिन लापरवाही के कारण नोट सड़े-गले हाल में निकलता है बाहर, देख लीजिए

MUZAFFARPUR : हर मंदिर के बाहर एक दान पेटी लगा हुआ मिलता है। जिसमें लोग अपनी इच्छा से कुछ न कुछ राशि डाल कर चले जाते हैं। लेकिन इन दान पेटियों के पैसे का उसके बाद क्या होता है। उसको लेकर शायद ही किसी ने ध्यान दिया हो। यहां हम मुजफ्फरपुर स्थित प्रसिद्ध गरीब नाथ मंदिर के दानपेटी में डाले गए पैसों की स्थिति को दिखा रहे हैं। जिसे देखने के बाद यकीन करना मुश्किल हो जाएगा कि यह वह राशि है, जो किसी ने अपनी मेहनत से कमाई थी और मंदिर और भगवान के पास अपनी आस्था के रूप में जमा किए थे।

गरीबनाथ मंदिर मुजफ्फरपुर का सबसे प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। यहां हर दिन न  सिर्फ शहर से, बल्कि दूसरे जिलों से भी लोग पूजा करने के लिए पहुंचते हैं। जाहिर है कि इनमें कई लोग ऐसे भी होते हैं जो मंदिर के दानपेटी में पैसे दान करते हैं। यह राशि एक रुपए से लेकर हजारो तक में होती है। लेकिन मंदिर और सामाजिक सहायता के लिए दान किए गए बिना इस्तेमाल किए ही बर्बाद हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि दान पेटी के रुपए को नियमित रूप से नहीं खोला गया था।

सड़ चुके थे अधिकतर नोट

गरीबनाथ मंदिर के दानपेटी में डाले गए पैसों की कुछ वीडियो सामने आए हैं। जिसमें कुछ लोग इन रुपए को छांटते हुए नजर आ रहे हैं। इन वीडियो में देखा जा सकता है मंदिर के दानपेटी में डाल गए नोट प्रबंधन की लापरवाही के कारण सड़ चुके थे। इनमें पांच सौ और दो हजार के भी कई नोट थे। नोटों को छांटने का काम कर रहे लोगों का कहना था यह नोट ऐसी हालत में पहुंच गए हैं कि इनका इस्तेमाल भी नहीं किया जा सकता है। 

एक महीने से नहीं खुली थी पेटी

नोटों के इस तरह से सड़ने के कारणों को लेकर जब जानकारी हासिल की गई तो बताया गया कि हर सप्ताह के मंगलवार को दानपेटी को खोला जाता है और पैसे बाहर निकाले जाते हैं। लेकिन इस बार एक माह से भी ज्यादा समय से दानपेटी को नहीं खोला गया था, जिसके कारण नोट खराब हो गए। मंदिर के पंडित महंत अभिषेक पाठक ने बताया कि पिछले 16साल से दान पात्र प्रत्येक मंगलवार को खुलता था लेकिन जब से अध्यक्ष महोदय आऐ आज पहली बार खुली थी। 

नहीं करते हिसाब

चौंकानेवाली बात है कि मंदिर में कितने पैसे दान में मिले, इसको लेकर भी कोई व्यवस्थित इंतजाम नहीं है।  बताया गया कि मंदिर के दानपेटी में कितने पैसे आए, इसका न्यास समिति के पास कोई लेखा जोखा नहीं है। सवाल यह है कि भारतीय नोटों को इस तरह बर्बाद होने के लिए कौन जिम्मेदार है।





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