Sasaram : कोरोना ने पूरी दुनिया में त्राहिमाम मचा रखा है। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक कोरोना संक्रमण के इलाज की दवा खोजने में जुटे है। हालांकि अबतक इसका कोई कारगर दवा नहीं मिल पाया है। इधर कोरोना के बढ़ते प्रकोप को लेकर अब भगवान का सहारा लिया जा रहा है। प्रदेश में इस महामारी से निजात दिलाने के लिए कई जिलों से पूजा-पाठ और टोटके की खबर सामने आ रही है।
इसी कड़ी में रोहतास के नोखा प्रखंड के कोन गांव से एक ऐसी ही खबर सामने आई है। जहां कुछ महिलाएं इस खतरनाक महामारी को कोरोना माई कह रही हैं साथ ही गाँव के पास नहर पर जाकर कोरोना माई की पूजा अर्चना भी कर रही हैं । बिहार के कई इलाकों में इन दिनों ऐसे अंधविश्वास का खेल खूब चल रहा है। यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी कोरोना को भगाने की पूजा और उसकी विधि बताई जा रही है।
हालांकि पूजा-पाठ से कोरोना का खात्मा होगा इसमें कोई सच्चाई नहीं है। विज्ञान भी इसे पूरी तरह से खारिज करता है। कोरोना एक तरह का वायरस है जिसका खात्मा किसी दवा या वैक्सिन से ही होगा। जिसकी खोज में पूरी दुनिया जुटी है।वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग अंधविश्वास को बढ़ावा देने में जुटे हैं
आजादी के सात दशक के बाद भी बिहार के कुछ इलाकों से इस तरह कि खबरें आना हैरान कर देने वाला है . बता दें कि सोमवार को छपरा से भी ऐसी ही खबर सामने आई थी जहां महिलाओं के द्वारा खतरनाक महामारी कोरोना को देवता और देवी मानकर पूजने में जुटे हैं. इस पर से विडम्बना देखिये कि सुलझे हुए ग्रामीण भी इस तरह कि अंधविश्वासों का विरोध करने सामने नहीं आते हैं .
सासाराम से राजू कुमार की रिपोर्ट