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मोदी सरकार के बजट से क्या पूरी होंगी बिहार की उम्मीदें? जनता की नजरें लोकसभा पर टिकी

मोदी सरकार के बजट से क्या पूरी होंगी बिहार की उम्मीदें? जनता की नजरें लोकसभा पर टिकी

PATNA : लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आई मोदी सरकार के बजट से बिहार को काफी उम्मीदें हैं। बिहार की जनता ने एनडीए को लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें दे दी। ऐसे में बिहार की जनता की उम्मीदें मोदी सरकार से काफी बढ़ गई है।

बिहार की जनता की नजरें हैं कि क्या विशेष राज्य के दर्जे का क्या हल हो पाएगा? स्वास्थ्य, शिक्षा, रेल को लेकर बिहार को इस बजट से खासा उम्मीदें हैं। आइये कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर नजर डालते हैं जिसपर बिहार की नजर है.

बिहार सरकार ने वर्ष 2006-7 से 2010-11 के दरम्यान प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों की मरम्मत पर 997 करोड़ रुपये खर्च किए थे। यह राशि बिहार को अभी तक नहीं मिली है। राज्य की अपेक्षा है कि इस बार के बजट में केंद्र इस राशि की प्रतिपूर्ति की घोषणा करे। इस बार पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि यानी बीआरजीएफ के तहत स्पेशल प्लान के बचे हुए 912 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद भी है।

मुजफ्फरपुर में पिछले दिनों सैकड़ों बच्चों की जिस तरह से मौत हुई है, उसके लिए करीब 100 करोड़ की लागत से एक एडवांस्ड रिसर्च सेंटर की स्थापना की राज्य से मांग हो रही है।

 बिहार ने हर घर नल का जल योजना के तहत पाइप से सभी घरों में जलापूर्ति पर मार्च, 2020 तक खर्च की जाने वाली 29,400 करोड़ की राशि भी केंद्र सरकार से ही मांगी है। इसकी वजह है कि केंद्र सरकार भी 2024 तक देश के सभी घरों में पाईप से पानी पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन बिहार में उसके पहले ही यह योजना पूरी हो जाएगी।

केंद्र सरकार ने वेतन मद में प्रति शिक्षक दिए जाने वाले 22,500 रुपये को घटा कर प्राथमिक शिक्षकों के लिए 15 हजार और अपर प्राथमिक शिक्षकों के लिए 20 हजार कर दिया है। इसके कारण बिहार को हर साल 7 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। बिहार की मांग है कि केंद्र सरकार पूर्व की तरह प्रति शिक्षक वेतन मद में 22,500 रुपये का भुगतान करे। राज्य सरकार का कहना है कि शिक्षकों के वेतन व भत्ते में हुई बढ़ोत्तरी को देखते हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत केंद्र शत प्रतिशत वित्तीय मदद करे।

मध्याह्न भोजन योजना के तहत रसोइए को केंद्र सरकार द्वारा 600 और राज्य सरकार की ओर से 900 रुपये यानी कुल 1500 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाता है। राज्य सरकार की अपेक्षा है कि केंद्र सरकार अपने अंशदान की 600 रुपये की राशि को बढ़ा कर कम से कम 2 हजार रुपये करे।

वृद्धा, विधवा और दिव्यांग पेंशन की केंद्रीय राशि 200 और 300 रुपये में वर्ष 2012 के बाद कोई वृद्धि नहीं की गई है। इसे बढ़ा कर 500 रुपये प्रतिमाह किया जाए। बिहार सरकार अपने स्तर से इस साल से प्रदेश के 45 लाख वृद्धों को पेंशन दे रही है, जबकि केंद्र सरकार केवल 29.90 लाख वृद्धों के लिए ही अंशदान की राशि दे रही है। इसके अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिनको लेकर बिहार को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें हैं। अब देखने वाली बात होगी की बिहार की जनता की उम्मीदें पूरी होती या नहीं?

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