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शिक्षा विभाग का अजीबोगरीब कारनामा, पीएचडी करने के छह माह बाद ही बन गए प्रोफेसर

शिक्षा विभाग का अजीबोगरीब कारनामा, पीएचडी करने के छह माह बाद ही बन गए प्रोफेसर

भागलपुर : बिहार में शिक्षा विभाग में हमेशा अजीबोगरीब कारनामा सामने आते रहता है. ताजा मामला तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में शिक्षकों की प्रोन्नति का है. जहां एक शिक्षक को पीएचडी करने के छह महीने के बाद ही पहले प्रोफ़ेसर बनाया गया और फिर कॉलेज का प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया. 

क्या है मामला

बताया जाता है कि जंतु विज्ञान विषय से जुड़े एक शिक्षक ने 15 नवंबर 1986 को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में अपना योगदान दिया था. उसके बाद उन्हें रीडर में प्रोन्नत 26 फरवरी 1996 को मिला. जिसके बाद उन्होंने पीएचडी की उपाधि 13 अगस्त 2003 को ली और 26 फरवरी 2004 को प्रोफेसर बन गए. पर प्रोफेसर में प्रोन्नति से संबंधित अधिसूचना 2016 में जारी की गई.

विवि नियम-परिनियम के अनुसार करियर एडवांसमेंट स्कीम (कैश) के तहत व्याख्याता से वरीय व्याख्याता बनने के लिए एक ओरिएंटेशन कोर्स आवश्यक है। वरीय व्याख्याता बनने के बाद ओरिएंटेशन और रिफ्रेशर कोर्स करना जरूरी है। रीडर या एसोसिएट प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी करना आवश्यक है। पीएचडी नियुक्ति के आठ वर्ष के अंदर करना आवश्यक है। पीएचडी की तिथि से ही रीडर और प्रोफेसर बन सकते हैं। लेकिन उक्त शिक्षक ने पीएचडी करने के छह माह के अंदर ही प्रोफेसर बना दिए गए। शिक्षक ने प्रोफेसर के लिए जिस पेपर का प्रकाशन दिखाया है, वह हूबहू ऑस्ट्रेलिया के शोधार्थी जॉनसन का है। इसके अलावा एक भी पेपर इंटरनेट पर नहीं दिख रहा है।




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