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बिहार के शारीरिक शिक्षा शिक्षकों ने उठाई प्रधानाध्यापक बनाने की मांग,शिक्षक संघ के नेतृत्व पर लगाए गंभीर आरोप

बिहार के शारीरिक शिक्षा शिक्षकों ने उठाई प्रधानाध्यापक बनाने की मांग,शिक्षक संघ के नेतृत्व पर लगाए गंभीर आरोप

PATNA: बिहार के प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयो में कार्यरत शारीरिक शिक्षा शिक्षकों ने अपनी लगातार उपेक्षा की आवाज बुलंद करते हुए अविलंब उन्हें भी अन्य शिक्षकों तरह सम्मान सहित  प्रधानाध्यापक पद प्रोन्नति व अन्य लाभ आदि देने की मांग की है।बिहार के सभी कोटि के विद्यालयों में कार्यरत शारीरिक शिक्षा शिक्षकों की एक बैठक रविवार को संतोष कुमार, जयनंदन कुमार अमित कुमार के नेतृत्व में हुई।

सभी शिक्षकों ने एक स्वर से कहा कि अन्य विषय के शिक्षकों के समान हमारी शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक योग्यता एक होने तथा विद्यालयों में पठन-पाठन सहित अन्य कार्यों को समान रूप से करने के वाबजूद भी हमें प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति, प्रभारी बनाने, मूल्यांकन कार्य से वंचित रखने सहित कई अन्य लाभ से वंचित किया जा रहा है।शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक संघ के नेतृत्वकर्ता ने भी हम सभी शिक्षकों की संख्या अन्य शिक्षकों की तुलना में कम होने के कारण अपने वोट बैंक की राजनीति को लेकर इस मामले को कभी गंभीरता से नहीं लिया और हमेशा गुमराह करते रहे। 

उन्होंने कहा कि विद्यालयों में अन्य विषयों के शिक्षकों के समान ही स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्री होने तथा उस विषय का लगातार बेहतर ढंग से पठन पाठन कराये जाने के बावजूद भी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा मूल्यांकन कार्य से शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को वंचित रखा जाता है। यही नहीं परीक्षा समिति द्वारा प्रति वर्ष शिक्षकों की बनाई जाने वाली डायरेक्टरी में नाम दर्ज करने से वंचित किया जाता है। जबकि हकीकत यह है कि इन शिक्षकों द्वारा अपने विषय का दक्षतापूर्वक निष्पादन करने के बाद जिन विषयों को पढाया जा रहा है उस विषय में बच्चें सभी परीक्षाओं में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

शिक्षकों का कहना है कि विद्यालयों में सभी कोटि के शिक्षकों को प्रभारी सहित प्रोन्नति देकर प्रधानाध्यापक /प्राचार्य बनाया जाता है मगर उसी विद्यालय में सबसे वरिष्ठ शिक्षक व समान योग्यता रखने के बावजूद इस लाभ से वंचित किया जा रहा है। इससे न सिर्फ वे अपने आप को अपमानित महसूस करते हैं बल्कि उनके अंदर निराशा व कुंठा उत्पन्न हो रही है।

उनका कहना है कि देश में फीट इंडिया मूवमेंट चलाया जा रहा है और लोगों को अपने जीवन में फीटनेस और स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। साथ ही विद्यालयों में खेल और शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य करने की कार्रवाई चल रही है मगर बिहार में इस मुहिम की आरंभिक कड़ी प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में शारीरिक शिक्षा के पद को समाप्त करते हुए अनुबंध पर शारीरिक शिक्षक सह स्वास्थ्य अनुदेशक पद पर मात्र 8000 रूपये प्रति माह मानदेय पर बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

शिक्षकों का कहना है कि पिछले वर्ष पटना उच्च न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को भी प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति देने का आदेश दिया था। मगर विभाग  इस विषय पर अब तक मौन है। उन्होंने कहा कि शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को कुछ वर्ष पूर्व तक विद्यालय प्रभारी बनाने के साथ साथ प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति दी जाती थी। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ऐसे शिक्षकों को सह परीक्षक व प्रधान परीक्षक बनाकर मूल्यांकन कार्य भी करवाया जाता था। मगर अचानक सभी प्रकार के कार्यों एवं मिल रहे लाभों से वंचित कर दिया गया।शिक्षकों ने आरोप लगाया कि सरकार ने बिना किसी समुचित समीक्षा व कारण के अर्हता और योग्यता रहने के बाद भी शारीरिक शिक्षा शिक्षकों को इन सभी कार्यों से अलग कर मिलने वाले प्रोन्नति सहित अन्य लाभों से वंचित कर अपमानित कर रही है।

सभी शारीरिक शिक्षा शिक्षकों शिक्षकों ने एक स्वर मांग की है कि पूर्व की भांति हमें विद्यालय प्रभारी बनाने के साथ-साथ प्रोन्नति देकर प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापित करने एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा शिक्षकों की डायरेक्टरी में शामिल करते हुए मूल्यांकन कार्य में प्रधान व सह परीक्षक नियुक्त करते हुए सभी लाभ  दिए जाएं।

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