GAYA: धार्मिक नगरी गयाजी में आज से पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। देश के कई राज्यों से तीर्थयात्री हजारों की संख्या में गया शहर पहुंचकर पवित्र फल्गु नदी व देवघाट सहित अन्य कई पिंड वेदियों पर पिंडदान की प्रक्रिया कर रहे हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार गयाजी में पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कोरोना के कारण विगत 2 वर्षों से पितृपक्ष मेला नहीं लगाया गया था। लेकिन इस बार वर्ष 2021 में कोरोना के घटते प्रभाव को देखते हुए सरकार ने पितृपक्ष मेला तो नहीं लगाया लेकिन कोविड-19 का अनुपालन करते हुए पिंडदान कर्मकांड करने की इजाजत दी है। यही वजह है कि हजारों की संख्या में आज प्रथम दिन पिंडदानी पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर रहे हैं। इसको लेकर मंत्री शाहनवाज हुसैन ने भी बताया था कि इस साल मेला का आयोजन नहीं होगा लेकिन अतिथि देवो भव: की परंपरा के तहत तीर्थयात्रियों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। उन्हें स्वास्थ्य सुविधा, सुरक्षा के साथ 24 घण्टे टोल फ्री नंबर पर जिला प्रशासन उनकी सेवा में रहेगा। पितृपक्ष के दौरान गया में आनेवाले तीर्थयात्री बिहार के प्रति अच्छी सोच लेकर जाएं इसके लिए पूरा प्रयास किया जाएगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार स्वयं भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ का गया में पिंडदान किया था। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी कोविड-19 का अनुपालन कराने को लेकर विभिन्न जगह पर शिविर लगाया गया है। जहां लोगों को टीका भी दिया जा रहा है और जो पिंडदानी दूसरे राज्यों से आए हैं उनके द्वारा लिए गए टीके की भी जांच की जा रही है।
प्रशासन द्वारा गया जी में आनेवाले पिंडदानियों के लिए गाइडलाइंस-
- पिंडदान करने के लिए बड़े ग्रुप या समूह में आने पर प्रतिबंध रहेगा
- बाहर से आने वाले लोगों के लिए कोविड जांच करवाना अनिवार्य होगा.
- जिसने करोना का टीका नहीं लिया है उन्हें कोरोना का टीका दिया जाएगा.
- पंडा पुजारी सोशल डिस्टेंस और कोविड गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित कराएंगे.
- गृह विभाग द्वारा जारी कोरोना से बचाव और सुरक्षा संबंधी दिशा निर्देश के आलोक में सीमित संख्या में लोग पिंडदान कर सकेंगे.
- आपदा कानून का उल्लंघन करने पर प्राथमिकी दर्ज होगी.
- कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर गया में कम से कम दस दिनों तक आइसोलेटेड होना पड़ेगा.