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प्लास्टिक सर्जरी कटे और विकृति अंगों का पुनर्निर्माण करती है: पारस हॉस्पिटल

प्लास्टिक सर्जरी कटे  और विकृति अंगों का पुनर्निर्माण करती है: पारस हॉस्पिटल

PATNA : पारस एचएमआरआई सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल पटना के प्लास्टिक सर्जन डॉ शब्बीर वारसी ने कहा है कि प्लस्टिक सर्जरी के बारे में लोगों में आम धारणा है कि यह महंगा इलाज है और आदमी को खूबसूरत बनाने का काम करती है. उन्होंने कहा कि खूबसूरती के अलावा प्लस्टिक सर्जरी दुर्घटना या कैंसर से क्षतिग्रस्त अंगो के पुनर्निर्माण करने का महत्वपूर्ण काम भी करती है. इससे मरीज का चेहरा, हाथ या अन्य अंग में विकृति दूर हो जाती है तथा मरीज अपना काम भी सुचारू रूप से कर पाता है. प्लास्टिक सर्जरी मनुष्य के जन्मजात विकृति को भी ठीक करती है। डॉ. वारसी सोमवार को राष्ट्रीय प्लास्टिक सर्जरी दिवस के मौके पर हॉस्पिटल परिसर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि दुर्घटना में किसी की हड्डी बुरी तरह टूट जाती है और मांस उस पर से हट जाता है तो हड्डी रोग के डॉक्टर उसकी हड्डी को ठीक कर देते हैं, लेकिन जब तक उसपर मांस नहीं चढ़ेगा तब तक उसका जख्म नहीं भरेगा. इस स्थिति में प्लास्टिक सर्जरी ही मांस चढ़ाने का काम कर सकती है. कैंसर से बचाने के लिए कई बार जबड़ा हटा दिया जाता है तो प्लास्टिक सर्जन उसका पुनर्निर्माण कर उसे खाने में सहायता और दिखने में सुन्दरता प्रदान करते हैं. हाथ की कटी अंगुली को जोड़ने का काम माइक्रोसर्जरी से किया जाता है. डॉ. वारसी ने कहा कि यह सही है कि हमलोग आदमी को खूबसूरत बनाने का भी काम करते हैं. इसके लिए हेयर ट्रांसप्लांट, चेहरे की झुर्री हटायी जाती है, पेट निकल जाने पर लाइपोसक्शन किया जाता है.

संवाददाता सम्मेलन में पारस एचएमआरआई हॉस्पिटल में उनके द्वारा प्लास्टिक सर्जरी किये गये चार मरीज भी मौजूद थे. जिन्होंने अपनी प्लास्टिक सर्जरी के बारे में विस्तार से बताया. कैंसर मरीज विदेशी शर्मा ने बताया कि कैंसर से बचाने के लिए उसके निचले जबड़े को काट कर हटा दिया गया था. तब डॉ. शब्बीर ने माइक्रो सर्जरी विधि से पैर की हड्डी और मांस लेकर जबड़ा का पुनर्निर्माण किया. मरीज ने बताया कि अब वह सामान्य ढंग से खाना खा रहा है तथा बोलने में भी कठिनाई नहीं हो रही है. अब वह अपने जबड़े में नये दांत भी लगवा रहा है.

दूसरे मरीज मोहम्मद सरफराज ने बताया कि तीन साल पहले सड़क दुर्घटना में उसके चेहरे की सारी हड्डियां टूट गयी थी.  उसे आई.सी.यू. में भी रहना पड़ा. डॉ. शब्बीर ने उसकी प्लास्टिक सर्जरी कर चेहरे की हड्डियों को जोड़ दिया और अब वह सामान्य रूप से अपना जीवन बिता रहा है.

तीसरे मरीज अनुज कुमार का चेहरा दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया था. पूरा चेहरा टूटकर नाक के ऊपर चला गया था. डॉ. शब्बीर ने प्लास्टिक सर्जरी कर चेहरे को बिल्कुल पहले जैसा कर दिया. 

चौथे मरीज आशीष का दांया हाथ शीशे से कट गया था. इससे उसके खून की नलियां, नस और टेंडन कट गए थें. छः घंटे के अथक प्रयास से उनकी सारी नसों को जोड़ दिया गया था.

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