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नियोजित शिक्षक संघ ने राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, नीतीश सरकार की चेतना जगाने की लगाई गुहार

नियोजित शिक्षक संघ ने राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, नीतीश सरकार की चेतना जगाने की लगाई गुहार

PATNA: बिहार के नियोजित शिक्षक 17 फरवरी से हीं हड़ताल पर हैं।वहीं माध्यमिक सिक्षक संघ 25 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अडिग है।इतने दिन बीतने के बाद भी बिहार सरकार ने हड़ताल खत्म कराने को लेकर कोई पहल नहीं की।शिक्षक संघ चाहते हैं कि सरकार कोई बीच का रास्ता निकाल कर बातचीत करे,लेकिन सरकार की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है कि हड़ताली शिक्षकों से कोई बातचीत नहीं की जाएगी।

बिहार के नियोजित शिक्षक संघ के नेताओं ने राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक पत्र लिखकर गुहार लगाई है।बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के नेताओं ने आज एक बार फिर से महामहिम, प्रधानमंत्री बिहार के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर हड़ताल खत्म कराने की मांग की है।

संघ के नेता प्रमोद कुमार यादव की तरफ से आज पत्र लिखा गया है।पत्र में लिखा गया है कि बिहार की बेपटरी हुई शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने वाले शिक्षक, जिनका नाम सरकार ने नियोजित शिक्षक रखा है।उनकी जिंदगी आज बेपटरी होती दिख रही है । पिछले 15 वर्षों से चले आ रहे शोषण के खिलाफ और अपनी विभिन्न सम्मत अधिकारों, मांगों के समर्थन में विगत 17 फरवरी 2020 से सूबे के तमाम 4 लाख नियोजित शिक्षक हड़ताल पर है । हड़ताल शुरू होने के लगभग एक माह बाद राज्य पर कोरोना संकट आया । लेकिन तब तक सरकार शिक्षकों की एक भी न सुनी ।

यह सरकार कोरोना रूपी महासंकट में भी हम शिक्षकों से हड़ताल से वापसी के लिए न कोई विधिवत अपील की न हमारी मांगों को ही मानी । बल्कि उल्टे लगभग 23 हजार से ज्यादा शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया । हजारों पर केस दर्ज कर दिया गया । इस अलोकतांत्रिक कठोर दंडात्मक कार्रवाई ने इस हड़ताल को ऐसे चौराहे पर खड़ा कर दिया जहां से सरकार के साथ बिना सम्मानजनक समझौते के वापसी मुमकिन नहीं है । इसी कारण हड़ताल आज भी जारी है ।

यह हड़ताल शिक्षकों के लिए मान सम्मान ही नहीं बल्कि अपने पेट और जिंदगी का सवाल है । जबकि मुख्यमंत्री इसे मूंछ का सवाल मान रहे हैं .  जिस कोरोना को लेकर इतना हाय-तौबा मचा हुआ है उस कोरोना महामारी से ज्यादा खतरनाक तो शिक्षकों की हकमारी है । क्योंकि महामारी  ने जहां बिहार के मात्र 02 को मारा है , वहीं इस हकमारी से  विगत 20 मार्च से अबतक  62 शिक्षकों की असमय मौत हो गई। दंडात्मक कार्रवाई के शिकार और वेतन के अभाव में भूखे शिक्षकों में अधिकांश शिक्षक अवसाद में चले गए हैं. लेकिन सरकार चेतना शून्य बनी हुई है। 

 संघ ने अनुरोध किया है कि बिहार की शिक्षा और शिक्षक की रक्षा और बिहार सरकार की चेतना जगाने की पहल करें, ताकि बिहार की शिक्षा-व्यवस्था को महासंकट से उबारा जा सके ।

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