KOLKATA: विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने
पहुंचे पीएम मोदी ने छात्रों को सफलता का मंत्र दिया। मोदी ने छात्रों को प्रेरणा
देते हुए कहा कि अगर आपके साथ चलने के लिए कोई तैयार ना भी हो, तब भी अपने लक्ष्य
की तरफ अकेले ही चलते रहो। मोदी ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि अगर आप एक कदम
चलेंगे तो चार कदम सरकार चलेगी। जनभागीदारी के साथ बढ़ते हुए ये कदम ही हमारे देश
को उस मुकाम तक लेकर जाएंगे, जिसका सपना गुरुदेव ने भी देखा था। मोदी ने कहा कि 125 करोड़ देशवासियों ने 2022 तक न्यू इंडिया बनाने का संकल्प लिया
है। इस संकल्प की सिद्धि में शिक्षा और महान शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण
भूमिका है। ऐसे संस्थानों से निकले नौजवान, देश को
नई ऊर्जा देते हैं, एक नई
दिशा देते हैं।

उन्होंने कहा कि गुरुदेव
के विजन के साथ-साथ न्यू इंडिया की आवश्यकताओं के अनुसार हमारी शिक्षा व्यवस्था को
सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है। इस बजट में अगले चार साल में देश की
शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए 1 लाख
करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। मोदी ने
बताया कि शैक्षिक संस्थाओं को पर्याप्त सुविधाएं मिले, इसके लिए हजार करोड़ रुपये के निवेश के साथ उच्च शिक्षा
अार्थिक एजेंसी शुरू की गई है। इससे प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं में उच्च क्वालिटी के
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए निवेश में मदद मिली है। इसके साथ ही पीएम ने कहा कि कम
उम्र में ही इनोवेशन का माइंड सेट तैयार करने की दिशा में हमने देशभर के 2400 स्कूलों को चुना है। इन स्कूलों में
अटल थिंकिंग लैब के माध्यम से हम 6वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों पर फोकस कर रहे हैं। इन लैब में बच्चों
को आधुनिक तकनीक से परिचित करवाया जा रहा है। मोदी ने कहा, ''गुरुदेव
मानते थे कि हर व्यक्ति का जन्म किसी ना किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए होता है।
प्रत्येक बालक अपनी लक्ष्य-प्राप्ति की दिशा में बढ़ सके, इसके लिए उसे योग्य बनाना शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य है। वो
कहते थे कि शिक्षा केवल वही नहीं है जो विद्यालय में दी जाती है।'' उन्होंने कहा, ''गुरुदेव
चाहते थे कि भारतीय छात्र बाहरी दुनिया में भी जो कुछ हो रहा है, उससे परिचित रहें। दूसरे देशों के लोग कैसे रहते हैं, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक
मूल्य क्या हैं,
इस बारे में जानने पर वो हमेशा
जोर देते थे। लेकिन इसी के साथ वो ये भी कहते थे कि भारतीयता नहीं भूलनी चाहिए।'' पीएम मोदी ने कहा कि आज सीमाओं के दायरे में बंधे राष्ट्र एक
सच्चाई हैं। शायद ही आज तक ऐसा मौका आया हो जब एक दीक्षांत समारोह में 2 देशों के प्रधानमंत्री मौजूद हों।

पीएम मोदी ने कहा, ''मैं जब मंच की तरफ आ
रहा था, तो ये सोच रहा था कि कभी इसी भूमि पर गुरुदेव के कदम पड़े
होंगे। यहां कहीं आसपास बैठकर उन्होंने शब्दों को कागज पर उतारा होगा, कभी कोई धुन, कोई संगीन गुनगुनाया
होगा, कभी महात्मा गांधी से लंबी चर्चा की होगी, कभी किसी छात्र को
जीवन का मतलब समझाया होगा।'' उन्होंने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के
विचार आज भी प्रासंगिक हैं।