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पीएम मोदी को संसद में याद आया सीताराम केसरी का अपमान, बिहार के नेता को याद कर कांगेस को याद दिलाया इतिहास

पीएम मोदी को संसद में याद आया सीताराम केसरी का अपमान, बिहार के नेता को याद कर कांगेस को याद दिलाया इतिहास

दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए सोमवार को बिहार से आने वाले दिवंगत कांग्रेस नेता सीताराम केसरी को याद किया. मोदी ने कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा-  फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन पर जोरदार हमला बोला.

उन्होंने कहा, सीताराम केसरी बिहार के पिछड़े वर्ग से थे और 1996 से 1998 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। अब पार्टी वेबसाइट में पूर्व अध्यक्षों की लिस्ट में उनका नाम नहीं है. दरअसल, राजीव गांधी के निधन के बाद पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव कांग्रेस के अध्यक्ष बने. सितंबर 1996 में नरसिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ा तो सीताराम केसरी अध्यक्ष बने. 9 मार्च 1998 को केसरी ने अपने इस्तीफे की मंशा जाहिर की, हालांकि बाद में उन्होंने अपना मन बदल लिया था. इसके बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक हुई, और प्रणब मुखर्जी ने पार्टी प्रमुख के रूप में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और सोनिया गांधी को पद संभालने का प्रस्ताव पेश किया. इसी दिन औपचारिक रूप से अध्यक्ष की कुर्सी सोनिया को दे दी गई और आनन-फानन में केसरी की नेमप्लेट हटा दी गई और इसे कूड़ेदान में फेंक दिया गया. इसके बाद यूथ कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने उनकी धोती खींचने की भी कोशिश की.

उन्होंने फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन को लेकर दिवंगत गायिका लता मंगेशकर को याद करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा. अभिव्यक्ति की आजादी के सवाल पर उन्होने नेहरू और इंदिरा गांधी का जिक्र किया. मोदी ने कहा- लता मंगेशकर जी के निधन से पूरा देश दुखी है. उनका परिवार गोवा से है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज अभिव्यक्ति की आजादी की बात करती है. लेकिन उनके समय यह कैसी थी, इसका उदाहरण देता हूं.

मोदी ने कहा कि लताजी के परिवार के साथ कांग्रेस ने कैसा सलूक किया ये भी देश को जानना चाहिए. उन्होंने बताया कि लता जी के छोटे भाई पंडित हृदय नाथ मंगेशकर जी ऑल इंडिया रेडियो में काम करते थे, लेकिन उन्हें रेडियो से निकाल दिया गया था।. उनका गुनाह सिर्फ इतना था कि उन्होंने वीर सावरकर की एक देशभक्ति से भरी कविता की ऑल इंडिया रेडियो पर प्रस्तुति दी थी. हृदयनाथ ने एक इंटरव्यू में यह बताया था। उन्हें कविता गाने पर 8 दिन के अंदर रेडियो से निकाल दिया गया था.

उन्होंने कहा- ऐसे एक नहीं, कई उदाहरण हैं. उन्होंने किशोर कुमार का भी जिक्र किया। कहा कि किशोर कुमार को इंदिरा जी के सामने न झुकने के कारण आपातकाल में निकाल दिया गया था. उन्होंने बताया कि किशोर कुमार ने आपातकाल में इंदिरा जी के समर्थन में बोलने से इंकार कर दिया था. हम सभी जानते हैं कि एक विशेष परिवार के खिलाफ किसी ने आवाज ऊंची की तो क्या होता है. सीताराम केसरी के बारे में सभी को पता है. 


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