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नरक के द्वार मगहर से पीएम नरेन्द्र मोदी आज फूकेंगे 2019 का चुनावी बिगुल

नरक के द्वार मगहर से पीएम नरेन्द्र मोदी आज फूकेंगे 2019 का चुनावी बिगुल

NEWS4NATION DESK : उत्तर प्रदेश के मगहर को नरक का द्वार कहा जाता है। संत कबीर ने वाराणसी में मृत्यु के बाद मुक्ति से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने के लिए मगहर चुना था। अब काशी से सांसद प्रधानमंत्री  नरेन्द्र ने भी भविष्य की 'सियासी संजीवनी' के लिए अगला पड़ाव मगहर को चुना है। मोदी आज गुरुवार को संत कबीर के 620वें प्राकट्य उत्सव के मौके पर मगहर में संत कबीर अकादमी का शिलान्यास और जनसभा करेंगे। इस बहाने नजर देशभर में फैले कबीर पंथियों से 'समरस' होने पर रहेगी। 

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सियासत और 'सत्संग' साथ-साथ 
पीएम के मगहर दौरे के दौरान यूपी के सीएम योग आदित्यनाथ भी साथ में होंगे। मोदी मगहर में 1.55 घंटे रहेंगे। इस दौरान संत कबीर की समाधि पर चादर चढ़ाने से लेकर कबीर के ध्यान स्थल कबीर गुफा का भी दर्शन करेंगे। दस प्रमुख संतों के साथ कबीर के दर्शन पर सत्संग भी दौरे में शामिल है। 

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संत कबीर अकादमी के शिलान्यास के बाद मोदी जनसभा का मंच चढ़ेंगे, जिसके लिए भाजपा  करीब एक महीने से तैयारियों में जुटी है। वहीं, कबीर मठ की ओर से भी मोदी के स्वागत की तैयारियां की गई है। खास तुलसी की माला से लेकर झीनी चदरिया, कबीर चरित्र और बीजक भी प्रधानमंत्री को उपहार के तौर पर दिया जाएगा। 


कबीर के बहाने दलितों-पिछड़ों पर नजर 
समाज सुधार की अलख जगाने वाले कबीर ने लिखा था 'जस काशी तस मगहर ऊसर'। हालांकि, मोदी के लिए 2014 में काशी सियासी तौर पर काफी 'उपजाऊ' साबित हुई थी। अब मोदी और बीजेपी कुछ ऐसी ही उम्मीद मगहर के मंच से भी तलाश रहे हैं। 

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जिला मुख्यालय से करीब पांच किमी की दूरी पर मगहर एक छोटा-सा कस्बा है। यहां कबीर की मजार , मंदिर और गुरुद्वारा तीनों की मौजूदगी कबीर की समरस वाणी की सार्थकता दर्शाती है। हालांकि, सियासतदानों के लिए कबीर और उनकी निर्वाण स्थली कभी प्रासंगिक नहीं रही। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी मगहर पहुंचने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्‍‍‍‍टर एपीजे अब्दुल जरूर यहां आए थे। 

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नरक का द्वार कहा जाता है मगहर 
बता दें कि कबीर ने इसी स्थली पर अंतिम सांस लेकर यह भ्रम तोड़ने की कोशिश की थी कि मगहर में मरने वाला व्यक्ति नरक में जाता है। बताया जाता है कि कबीर के समय में काशी के पंडितों को गौतम बुद्ध के वाराणसी में बढ़ते प्रभाव का डर सताने लगा। उन्होंने यह विचार फैलाया कि वाराणसी में मरने वाला व्यक्ति मुक्ति पाएगा जबकि मगहर में मरने वाला नरक जाएगा। कबीर ने इसे तोड़ने के लिए अपने आखिरी साल मगहर में बताए। बताया जाता है कि मगहर को नरक कहने के पीछे कई कारण हैं। जैसे कि पहले यह एक बंजर जमीन थी जो नरक सी लगती थी। कई लोग कहते हैं कि इस रास्ते पर जाने वाले लोग लूट लिए जाते थे। 

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