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बिहार में फिर संदिग्ध मौत का कहर, जहरीली शराब से जान जाने की आशंका के बाद हड़कंप! भाजपा की छह सदस्यीय टीम पहुंची बहरामपुर गांव

बिहार में फिर संदिग्ध मौत का कहर,  जहरीली शराब से जान जाने की आशंका के बाद हड़कंप! भाजपा की छह सदस्यीय टीम पहुंची बहरामपुर गांव

गोपालगंज-  बिहार में 1 अप्रैल, 2016 से नीतीश कुमार की सरकार ने पूर्ण शराबबंदी कर रखी है। बिहार में शराबबंदी है- सच है। बिहार के कोने-कोने, गांव-गांव में शराब बिक रही है- सच है।  गोपालगंज  जिले के बैकुंठपुर  प्रखंड के अलग अलग गांव में पांच लोगो की संदिग्ध मौत मामले में मृतकों के परिजनों से मिलने भाजपा के छः  सदस्यीय टीम बैकुंठपुर प्रखंड के बहरामपुर गांव पहुंची. इस दौरान मृतक के परिजनो से मुलाकात कर उन्हे न्याय दिलाने का भरोसा दिया है। जबकि मृतक टिंकू की पत्नी ने बताया मेरे पति की मौत शराब पीने से हुई है। फिलहाल आज टिंकू के शव का पोस्टमार्टम करा परिजनो ने अंतिम संस्कार कर दिया। वही इस मामले में टिंकू के पत्नी ने स्थानीय थाना पुलिस को लिखित आवेदन भाजपा नेताओं के मौजूदगी में देकर नामजद मामला दर्ज करवाने के लिए थानाध्यक्ष से अपील की है। शराब से हुई मौत पर फिलहाल अधिकारिक पुष्टि नहीं की जा रही है, लेकिन इन मौतों की वजह की जांच शरू कर दी गई है।  

दरअसल बिहार भाजपा का प्रतिनिधि मंडल बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरि सहनी के नेतृत्व बैकुंठपुर प्रखंड के बहरामपुर गांव में मृतकों के घर पहुंची। इस दौरान टीम ने परिजनों से मिले प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश महामंत्री  मिथलेश तिवारी पूर्व सांसद विधान पार्षद जनक राम, विधान पार्षद  राजीव कुमार। विधायक कुसुम देवी, विधायक जनक सिंह शामिल हुए। इस दौरान भाजपा नेताओं ने पीड़ित परिवार से मिलकर पूरी जानकारी प्राप्त की। वही मृतक की पत्नी कविता देवी ने भाजपा नेताओं के मौजूदगी  पुलिस को सौंपी गई आवेदन में कहा है की 16 नवम्बर को बहरामपुर गांव निवासी ज्योति राय के बेटा कृष्णा राय  ने बहला फुसला कर मेरे पति को जहरीली शराब पिला दिए, जिससे मेरे पति की आंख की रौशनी जाने लगी। हालत बिगड़ने पर हमलोग इलाज के लिए दीघवा-दुबौली ले गये, वहाँ हालत ज्यादा खराब होने पर बेहतर इलाज के लिए पटना ले गये, इलाज के क्रम में दिनांक 20.11.2023 को उनकी मृत्यु हो गइ । बहाँ से लेकर बैकुंतपुर थाना लाया गया तथा पोस्टमार्टम के लिए गोपालगंज भेज दिया गया।

  उन्होंने दिए गए आवेदन में कहा है की कृष्णा राय एक शराब माफिया है मृत्यु बाद मेरे घर पर आकर कृष्णा राय तथा 10-12 साथी हमलोगो के साथ जाति सूचक गाली गलौज करते हुए धमकी दे रहे है कि यदि तुमलोग मुकद‌मा करोगे तो पुरे परिवार को जान से मार देगे, घर में आग लगा देंगे तथा जीना दूभर कर देगें। मेरे ही परिवार के सुरेश राम  तथा सुनील राम भी उसी जहरीली शराब पिड़ित है। जिसमें से सुरेश राम कि भी मौत हो चुकी है तथा सुनील राम जीवन मौत से जूझ रहे है। मृतका के पत्नी कविता ने बताया की जब उन्हें खाना दी तो वे नही खाए थे। कारण पूछे तो बताए थे की कृष्णा भाई के यहां पीकर आया हूं। पता नही क्यों आंख खुल नही रहा है दिखाई नहीं दे रहा है। 

वही इस संदर्भ में भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व एमएलसी जनक राम ने प्रशासन पर कई सवाल उठाते हुए बताया की मृतक टिंकू की मां और उसकी पत्नी के बयान को यहां के पुलिस प्रशासन यहां के शासन प्रशासन के लोग दबाने में लगा हुआ है। पीड़ित परिवार स्वयं बयान दे रहे की  जहरीली शराब से मौत हुई है। लेकिन यहां के पुलिस प्रशासन जबदस्ती पीड़ित परिवार के बयान को बदलने के लिए दबाव डाल रही है। उन्होंने कहा की मेरा मांग है प्रशासन और पलटू कुमार से की दारू माफिया और सरकार के सिंडीकेट को मुख्यमंत्री देखे। एक ओर मुख्यमंत्री दलितों की बात करते है वही दारू माफिया सिंडीकेट दलितों को जहरीली दारू पिला कर मौत के घाट उतार रही है। प्रशासन अपना जिम्मा बचा रही है। उन्होंने कहा की दारू माफियाओं पर एफआईआर हो कार्रवाई हो और मृतक परिवार को 20-20लाख मुवाजा दें।

पूर्ण शराबबंदी वाले राज्य बिहार में कुछ लोग कटाक्ष भरे लहजे में ये कहते हैं कि, बिहार में शराब ईश्वर की तरह है, जो मौजूद तो हर जगह है लेकिन, दिखाई सिर्फ उन्हें देता है, जो उसके सच्चे भक्त हैं। यानी लोगों का ये कहना है कि बिहार में हर जगह शराब मौजूद हैं और पीने वाले को आसानी से उपलब्ध हो जाती है।नतीजा ये है कि 2006 साल से लागू शराबबंदी में लाखों लोग जेल जा चुके हैं, कोर्ट पर लाखों केस का बोझ बढ़ गया है। पुलिस से लेकर उत्पाद विभाग तक के भ्रष्टाचार की गंगा में शराब का अवैध धंधा पूरे राज्य में अविरल चल रहा है। लोग मरते हैं, कुछ दिन हंगामा होता है। फिर सब भूल जाते हैं। फिर लोग मरते हैं, फिर हंगामा होता है और फिर लोग सब भूल जाते हैं। नीतीश कुमार मानने को तैयार ही नहीं है कि शराबबंदी फेल है और लोगों का कहना है कि भ्रष्ट कर्मचारी, अधिकारी और पुलिस के रहते इसके पास होने की रत्ती भर गुंजाइश नहीं है। 

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के शराबबंदी कानून को उन कानूनों के उदाहरण के तौर पर पेश किया जिसे बनाने में दूरदृष्टि की कमी दिखती है।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार के शराबबंदी कानून ने कोर्ट का दम घोंट रखा है। पटना हाईकोर्ट के 14-15 जज शराब मामलों में बेल के केस सुन रहे हैं जिससे बाकी मामलों की सुनवाई पर असर पड़ रहा है। पटना हाईकोर्ट ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू करने में सरकार फेल है और इसकी वजह से लोगों को गांजा-चरस और दूसरे ड्रग्स की लत लग रही है


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