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पुलिस की मिलीभगत से हो रहा था लड़कियों का यौन उत्पीडन, 5 साल पहले छिपा दिया गया था महापाप

पुलिस की मिलीभगत से हो रहा था लड़कियों का यौन उत्पीडन, 5 साल पहले छिपा दिया गया था महापाप

PATNA - मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। बालिकागृह में यौनशोषण की यह कोई पहली घटना नही है। इसकी शुरूआत 2013 मे ही हुई जब पहली दफा एक साथ  4 लडकियों को भगानें की बात सामनें आई थी। तब बालिका गृह संचालक और पुलिस की मिलीभगत से मामले को दबा दिया गया। न्यूज4नेशन को जो एक्सक्लूसिव जानकारी हाथ लगी है वो हैरत करने वाली है। दरअसल  संचालक के आवेदन पर नगर थानाध्यक्ष नें सिर्फ सनहा दर्ज किया। नगर थानें की पुलिस नें केस के अनुसंधान में दिलचस्पी नही ली और मामले को ठंढे बस्ते में डाल दिया। मुजफ्फुरपुर के नगर थाना में बालिका गृह के अधीक्षक की तरफ से 15 दिसम्बर 2013 को दिए गए आवेदन में 4 बच्चियों के भागनें की बात थी। 16 दिसम्बर 2013 को तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार ने उक्त आवेदन पर सिर्फ सनहा दर्ज किया। उन्होने मामले की गंभीरता को दरकिनार कर किसी अधिकारी को जाँच में नही लगाया।

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ब्रजेश ठाकुर ने अपने रसूख का किया इस्तेमाल 

2013 में हुई इस घटना को दबाने के लिए ब्रजेश ठाकुर ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया था. भागने वाली 4 लडकियों में दिल्ली,इटावा,मधुबनी के फुलपरास और मुजफ्फरपुर की अहियापुर की रहनें वाली  थी। बताया जाता है की ये सभी बालिका गृह की छत से एक-दूसरे छत को फांदकर भागी थी। बालिका गृह में  बच्चियों से रेप के खुलासे के बाद 2013 का ठंढे बस्ते में दबा यह मामला भी खुल गया है। जाँच के लपेटे में नगर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार भी आ गए हैं जिन्होनें लडकियों के भागनें पर सिर्फ सनहा किया था। इस मामले में तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार की भूमिका को संदिग्ध पाते हुए मुजफ्फरपुर के टाउन डीएसपी ने 24 जूलाई 2018 को ही थानाध्यक्ष पर कार्रवाई के लिए मुजफ्फरपुर एसएसपी को रिपोर्ट भेजी है। वही तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार नें कहा कि आवेदन के अनुरूप जो भी किया जाना संभव था उन्होनें किया। थानाध्यक्ष नें कहा की उन्हें जो स्मरण है उसके अनुसार जो लडकियाँ भागी थी वह फिर वापस आ गई थीं।  मुजफ्फरपुर के एक वरिष्ठ अधिकारी नें बताया की बालिकागृह के मामले में पुलिस ने शुरू से ही  लापरवाही बरती।पुलिस अगर 2013 से हीं सक्रिय रहती तो यह घटना नही घटती जाँच में पुलिस और संचालक की मिलीभगत की भी बात सामनें आई है। राज्य सरकार की पहल पर सीबीआई ने केस की जाँच शुरू की है. संभव है की आरोपी थानाध्यक्ष से भी पूछताछ हो. क्योंकि मुजफ्फरपुर पुलिस ने अपनी जाँच में उन्हें भी दोषी माना है।

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