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सूबे में बढ़ते प्रदूषण और धूल से सने हाइवे को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

सूबे में बढ़ते प्रदूषण और धूल से सने हाइवे को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

 PATNA : बिहार में बढ़ते प्रदूषण को लेकर अब हाईकोर्ट सख्ती बरतने के मूड में है। हाईकोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान ले लिया है। पटना प्रदूषण में नंबर वन है। दिल्ली को भी इसने पछाड़ दिया है। लगातार कोशिशों के बाद भी सरकार प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं ला पा रही है। खासकर धूलकण का लेवल तो इतना बढ़ गया है कि कुछ कहना नहीं। 

एक साल से हाइवे पर काम रूका है और सरकार कॉन्ट्रेक्टर पर' ''कार्रवाई करने की कोशिश ''ही कर रही है ! ऐसी कोशिश हाई कोर्ट को परेशान कर रही है ! मधेपुरा-उदाकिशुनगंज के बीच नेशनल हाइवे संख्या 106 की दयनीय स्थिति पर मुख्य न्यायाधीश ने तल्ख टिपण्णी की है। सूबे में खस्ताहाल व धूलधूसरित हाइवे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए पटना हाई कोर्ट ने इसे जनहित मामला में तब्दील कर दिया और साथ ही शुक्रवार, 4 जनवरी को सुनवाई हेतु सूचीबद्ध करने का आदेश दिया। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश ए पी शाह की खण्डपीठ इसपर सुनवाई करेगी। 

गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश ने कोर्ट रूम में महाधिवक्ता ललित किशोर को अपने खुद का अनुभव बयान करते हुए इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई में भाग लेने का आग्रह किया। मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता को बताया कि उत्तरी बिहार में निचली अदालतों के निरीक्षण करने गए थे। सुपौल के बीरपुर से नवगछिया के बिहपुर जाने के रास्ते में उन्हें एनएच 106 पर मधेपुरा में 35 किलोमीटर का सफर करने में 2 घंटे लग गए। इस बीच हाइवे के चारों तरफ धूल-ही-धूल मिला। उस जगह पर हाइवे का निर्माण पिछले एक साल से आधा-अधूरा पड़ा था। जिसके कारण पूरा वातावरण धूलधूसरित था। सबसे दयनीय स्थिति स्कूली बच्चे और स्थानीय ग्रामीणों की थी जो मुंह पर कपड़ा ढंक कर सड़क किनारे चल रहे थे। 

मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि वे रूककर जब सम्बन्धित सरकारी अभियंता से अधूरे निर्माण का कारण पूछा तब जवाब मिला कि सड़क निर्माण कम्पनी दूसरे राज्य से है। पिछले एक साल से कार्य को लम्बित छोड़कर चली गयी है। अभियंता से जब कार्रवाई करने के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला कि ठीकेदार कम्पनी के खिलाफ कार्रवाई करने की "कोशिश" की जा रही है।

मुख्य न्यायाधीश ने महाधिवक्ता को कहा "हमें यह बात परेशान करती है कि निर्माण छोड़कर भागने वाली ठेकेदार कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार सिर्फ कोशिश ही कर रही है ! सरकार को धूल से होने प्रदूषण और खराब सड़क से होने वाली नागरिकों को असुविधाओं की सुध तक नहीं है।

इस पूरे प्रकरण को जनहित मामला मानते हुए मुख्य न्यायाधीश की खण्डपीठ ने शुक्रवार को सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्राधिकरण के वकीलों को भी सुनवाई के दौरान  कोर्ट में रहने के लिए कहा गया है ।


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