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नगर प्रशासन मंत्री के गृह शहर में पीएम आवास योजना से वंचित हो रहे हैं गरीब परिवार, बिना पैसे नहीं होता काम

नगर प्रशासन मंत्री के गृह शहर में पीएम आवास योजना से वंचित हो रहे हैं गरीब परिवार, बिना पैसे नहीं होता काम

PATNA : कुछ दिन पहले ही सरकार की तरफ यह जानकारी दी गई थी पीएम आवास योजना के तहत घर निर्माण में बिहार सबसे आगे है। अब दावे में कितनी सच्चाई है, यह कटिहार जिले में जाकर समझा जा सकता है। जहां गरीबों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए  चलाए जा रहे  प्रधानमंत्री आवास योजना में कटिहार नगर निगम क्षेत्र से बड़ा गड़बड़ झाला सामने आया है। बिहार के नगर प्रशासन मंत्री तार किशोर प्रसाद के गृह शहर में गरीबों के आवास योजना को उगाही का जरिया बना दिया गया है। यहां इस उगाही में नगर निगम के कर्मियों के साथ-साथ स्थानीय पार्षदों ने भी लोगों को आर्थिक दोहन किया है।

शहर के एक नंबर वार्ड नंबर 1 से शुरू कर 45 नंबर वार्ड तक सभी वार्ड में इस योजना को लेकर हालात लगभग एक ही तरह के हैं। वार्ड नंबर 1 से जुड़े लोगों के माने तो जिन लोगों ने रुपया नहीं दिया उन लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिला है,लोगो के माने तो इस योजना को लेने के लिए यह लोग 10 से लेकर 30 हज़ार तक घुस दे चुके है मगर ओर रुपए की मांग को लेकर 2 सालों से प्रधानमंत्री आवास योजना के दूसरे,तीसरे तो किसी के चौथे क़िस्त की राशि लटका हुआ है।

विभाग का कहना है कि तकनीकी वजह से इस योजना से जुड़े रफ्तार बेहद धीमी है। कटिहार नगर आयुक्त के माने तो कटिहार नगर क्षेत्र में 2385 लोगों को इस योजना के तहत चयन किया गया है, निश्चित तौर पर कुछ तकनीकी वजह से कार्य में शिथिलता हुआ है। मगर अब इस योजना को लेकर मुहिम बनाकर काम किया जा रहा है और जल्द लाभुकों को राशि आवंटित किया जाएगा।

बता दें कि गरीबों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से चार किस्तों में तमाम प्रक्रिया पूरा करने वाले लोगों को दो लाख की राशि देते हैं, इसके लिए  काम के हर स्तर के बाद क़िस्त में रुपया आवंटित किया जाता है 

राजद ने शुरू किया हमला

कटिहार में इस महत्वपूर्ण योजना के हालात पर अब राजद भी सरकार और प्रशासन पर हमलावर है और जल्द लोगों को बिना घुस दिए राशि आवंटित करवाने की मांग कर रहे हैं।

गरीब लोगों को सर पर छत मुहैया करवाने के लिए प्रधानमंत्री आवास एक महत्वपूर्ण योजना है और सरकार इस योजना को गरीबों तक पहुंचाने के लिए संकल्पित है मगर जमीनी स्तर पर अधिकारी और प्रतिनिधि अगर इसको आर्थिक दोहन का माध्यम बना ले तो इस पर भी जांच तो होना ही चाहिए।


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