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चर्चित महिला MLA की बिटिया ले रही क्लास, खूब पढ़ा रही मम्मी को ताकि दसवीं कर जाए पास

चर्चित महिला MLA की बिटिया ले रही क्लास, खूब पढ़ा रही मम्मी को ताकि दसवीं कर जाए पास

डेस्क... कहते हैं शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नहीं होती है। आप जिस उम्र में चाहों हो शिक्षा हासिल कर सकते हो। ये बात सिर्फ कहने की नहीं है बल्कि मध्यप्रदेश में एक चर्चित विधायक ने इसे कर के भी दिखाया है। जी हां हम बात कर रहे हैं मप्र के दमोह जिले की, जहां पथरिया की विधायक रामबाई इन दिनों ने 10वीं की पढ़ाई पूरी करने में लगन से जुटी हैं और इन दनों वो 10वीं की ओपन बोर्ड परीक्षा भी दे रही हैं। विधायक रामबाई ने फिलहाल मध्यप्रदेश में हुए उपचुनाव के संपन्न होने के बाद राजनीति से ब्रेक लेकर बोर्ड की फाइनल परीक्षा की तैयारी में पूरी तन्मयता के जुटी हैं और उनके इस काम उनकी बेटी मेघा परिहार बखूबी साथ दे रही हैं। 

दसवीं पूरी करने में बेटी दे रही साथ

हमेशा अपने बयानों और दंबगई गतिविधियों को लेकर चर्चा में रहने वाल रामबाई परिहार इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं। विवादित बीएसपी विधायक रामबाई राजनीति से ब्रेक ली हैं। वह अभी 10वीं की ओपेन बोर्ड से परीक्षा दे रही हैं। विधायक रामबाई ने बताया कि उनकी बेटी मेघा परिहार दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में स्नातक कर रही है। वहीं हमारी मेंटर है। रामबाई अभी तक 3 पेपर दिए हैं। रविवार को वह प्रैक्टिल देंगी। रामबाई ने कहा कि अभी मैं अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं। 

बेटी ने मां की बताई खूबी और कमजोरी
वहीं, रामबाई की बेटी मेघा परिहार ने कहा कि मां साइंस में कमजोर है और फॉर्म्युले पर वह कंफ्यूज हो जाती हैं। उनकी अंग्रेजी ठीक है और हिंदी बहुत अच्छी है। मेघा दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी भी करती है और आईएएस बनान चाहती हैं। रामबाई ने कहा कि मैं मिडिल स्कूल ड्रॉपआउट हूं। 

स्कूल जाने के लिए पार करनी पड़ती थी नदी
विधायक रामबाई ने कहा कि दमोह जिले के खोजखेड़ी सिमरी गांव में कोई स्कूल न होने के कारण मैं आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। मुझे लंबी दूरी तय करने के बाद स्कूल जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती थी, इसलिए मैंने पढ़ाई छोड़ दी। 

बेटी ने बढ़ाया विधायक मां का हौसला
मेघा ने बताया कि उनकी मां के पास नए विचारों की बहुत अच्छी समझ है। मेरे पिता और मैंने उन्हें प्रेरित किया और परीक्षा में बैठने के लिए मना लिया। शुरुआत में वह संकोच कर रही थीं, लेकिन बाद में वह आश्वस्त थी। वहीं, रामबाई ने कहा कि उनकी औपचारिक शिक्षा जरूर छूट गई, लेकिन सीखने का काम लगातार जारी थी। रामबाई ने कहा कि विधानसभा की कार्यवाही को जानने के लिए बहुत अधिक पढ़ना आवश्यक है। इसके अलावा, मैंने 35 से अधिक हिंदी उपन्यास पढ़े हैं।

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