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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर मोदी कैबिनेट की मुहर, 8500 करोड़ रुपए का फंड जारी

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर मोदी कैबिनेट की मुहर, 8500 करोड़ रुपए का फंड जारी

नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टरको अपडेट करने को मंजूरी दे दी है। इसके तहत देश भर के नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। हालांकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा। इसका इस्तेमाल सरकार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए करती है। कैबिनेट ने इस पूरी कवायद के लिए 8,700 करोड़ रुपये के बजट आवंटन पर भी मुहर लगा दी है। 2021 की जनगणना से पहले 2020 में एनपीआर अपडेट किया जाएगा, इससे पहले 2011 की जनगणना से पहले 2010 में भी जनसंख्या रजिस्टर को अपडेट किया गया था। असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2020 तक एनपीआर को अपडेट करने का काम किया जाएगा।


नैशनल पॉप्युलेशन रजिस्टर (NPR) के तहत 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार करने के लिए देशभर में घर-घर जाकर जनगणना की तैयारी है। देश के सामान्य निवासियों की व्यापक पहचान का डेटाबेस बनाना NPR का मुख्य लक्ष्य है। इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमीट्रिक जानकारी भी होगी। इसमें व्यक्ति का नाम, पता, शिक्षा, पेशा जैसी सूचनाएं दर्ज होंगी। NPR में दर्ज जानकारी लोगों द्वारा खुद दी गई सूचना पर आधारित होगी और यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा।

NPR और NRC में अंतर है। NRC के पीछे जहां देश में अवैध नागरिकों की पहचान का मकसद छिपा है। वहीं, छह महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले किसी भी निवासी को NRC में आवश्यक रूप से पंजीकरण करना होता है।

बाहरी व्यक्ति भी अगर देश के किसी हिस्से में छह महीने से रह रहा है तो उसे भी NPR में दर्ज होना है। NPR के जरिए लोगों का बायोमीट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं की पहुंच असली लाभार्थियों तक पहुंचाने का भी मकसद है।

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