KATIHAR: जिंदगी में सफल होने के लिए या खुद का मुकाम बनाने के लिए रंग- रूप, कद-काठी कोई मायने नहीं रखता है. अगर आप में हौसला हो तो खुद के दम पर इतिहास बदला जा सकता है. इसी कथन को सही सिद्ध कर रहे हैं कटिहार जिले के सैफुल, जिनका कद भले ही कम हो, मगर सम्मानित जिंदगी जीने का जज्बा काफी ऊंचा है.
प्राणपुर प्रखंड के काठघर पंचायत के धबोल गांव के निवासी एस.के.सैफुल की लंबाई महज साढ़े तीन फीट है. सैफुल को शुरूआती जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. एक दौर ऐसा भी था जब छोटे कद के कारण पूरा गांव सैफुल को ‘टिंकू जी’ कह कर चिढ़ाता था. मगर उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का ही नतीजा है कि उन्होनें सबकी बोलती बंद कर दी और अब सब उन्हें सम्मानित नजरों से देखने लगे हैं.
सैफुल ने अपने आत्मविश्वास को कभी कम नहीं होने दिया. अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर वो अब गांव के बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. पिछले 6 सालों से अपने गांव धबोल के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में वो बच्चों को पढ़ा रहे हैं. उनका कहना है कि उन्होंनें इस विद्यालय में शुरू से ही शिक्षकों की कमी देखी थी, जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती थी. इसलिए उन्होनें शिक्षक बनकर बच्चों का भविष्य संवारने का फैसला लिया. वह हर रोज सेवा भावना से मुफ्त में विद्यालय के बच्चों को शिक्षा देते हैं जिससे गांव के लोग भी बेहद खुश है. साथ ही बच्चों के बीच भी उनके प्रति आदर का भाव है.
सैफुल कहते हैं कि उन्होंने शिक्षक बनने के लिए परीक्षा भी दी थी, मगर पांच नंबर कम होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल पायी. इसका एक सकारात्मक पहलू है कि अब वह अपने गांव में ही शिक्षा के सारथी बन गए हैं. इस मामले में शिक्षाविद सूरज गुप्ता कहते हैं कि निश्चित तौर पर यह काबिल-ए-तारीफ पहल है और जिस तरह अपने छोटे कद के बावजूद सैफुल इतना बड़ा काम कर रहे हैं, समाज को उनका शुक्रगुजार होना चाहिए.