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नवीनगर एनटीपीसी की तीसरी यूनिट से भी शुरू हुआ विद्युत उत्पादन का काम, बिहार में अब नहीं होगी बिजली की किल्लत

नवीनगर एनटीपीसी की तीसरी यूनिट से भी शुरू हुआ विद्युत उत्पादन का काम, बिहार में अब नहीं होगी बिजली की किल्लत

AURANGABAD : औरंगाबाद जिले के नवीनगर स्थित एनटीपीसी लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली एनपीजीसी की सुपर थर्मल पावर परियोजना की तीसरी इकाई से भी बिजली का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर दिया गया है तीनों यूनिट के बिजली उत्पादन की क्षमता  660-660 मेगावाट की है। पूर्व में स्थापित दो यूनिट  से बिजली का उत्पादन पहले से ही हो रहा था ,अब तीसरी यूनिट से भी बिजली उत्पादन शुरू कर दिया गया है।

 तीनों इकाई शुरू होने से बिहार बिजली के मामले में और बेहतर स्थिति में आ गया। सीईओ ने बताया कि नवीनगर स्थित इन  परियोजना के प्रथम फेज के तहत तीसरी और आखिरी यूनिट प्रारंभ होने के बाद 1980 मेगावाट बिजली में से बिहार राज्य को लगभग 85% यानी कुल 978 मेगावाट बिजली मिलनी शुरू हो गई है। झारखंड का हिस्सा 21.60 मेगावाट, उत्तर प्रदेश का हिस्सा 225.94 मेगावाट एवं सिक्किम का हिस्सा 3.60 मेगावाट है। 

परियोजना की पहली और दूसरी यूनिट से बिजली उत्पादन का जितना हिस्सा झारखंड और सिक्किम द्बारा खरीदा जाना था वह नहीं खरीदा जा रहा है। ऐसी स्थिति में अब एनपीजीसी ने गुजरात सरकार से करार किया है और 50.45 मेगावाट बिजली गुजरात भी इस परियोजना से खरीद रहा है। एनपीजीसी अकेले बिहार में उद्योगों और घरों में बिजली की जरूरतों को पूरा कर रही है। बिहार के लिए यह गर्व की बात है।


कोयला का संकट नहीं

 सीओ ने बताया कि जर्मनी की टेक्नोलॉजी के सहारे पहली यूनिट में टरबाइन लगाया गया है। शेष दोनों यूनिटों के टरबाइन हमारे देश से लिए गए हैं। एनपीजीसी के समक्ष कोयले का संकट नहीं है इस संकट से यह परियोजना बाहर निकल चुकी है। हाल में देश में कोयले की कमी के वजह से तमाम बिजली परियोजनाओं के समक्ष संकट पैदा हो गया था मगर इससे एनपीजीसी उबर चुकी है। सीओ ने बताया कि इंडोनेशिया देश से 5 लाख टन कोयला निर्यात किया जा रहा है ।इसके अलावा 3 लाख टन कोयला बीसीसीएल से लिया जा रहा है। 

माइंस से कोयला लाने में आ रही बाधा को देखते हुए आरटीआर कॉन्ट्रैक्ट का सहारा लिया गया। माइंस तक रेलवे कॉरिडोर का निर्माण कराया गया इससे माइंस से कोयला सीधा परियोजना तक निर्यात किया जा सकेगा ।वहीं अतिरिक्त 2.40 लाख टन कोयले का आर्डर दिया जाने वाला है। तमाम साधन और उसका उपाय कर कोयले की कमी को दूर कर ली गई है कुछ समय पहले कोयले की कमी हो गई थी वर्तमान में 6 दिनों से अधिक का कोयला उपलब्ध है।फिलहाल इस परियोजना से बिजली उत्पादन की लागत 4.85 रुपये प्रति यूनिट आ रही है।


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