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आरएसएस दफ्तर में प्रणव : कांग्रेस में बेचैनी , रहेगी सबकी नजर

आरएसएस दफ्तर में प्रणव :  कांग्रेस में बेचैनी , रहेगी सबकी नजर

NAGPUR : आरएसएस के तृतीय वर्ष शिक्षा वर्ग समापन समरोह पर आज सबकी नजरें रहेगी। कांग्रेस में बेचैनी इस बात को लेकर है कि आखिर प्रणव मुखर्जी बोलते  क्या हैं। कई मायनों में खास होने वाला है यह कार्यक्रम । एक ही मंच पर संघ के विचारों का समर्थन करने और उसे फोलो करने वाले लोगों का जमावड़ा तो होगा ही। साथ ही कांग्रेस की परंपरा में रचे बसे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत करने वाले हैं। कांग्रेस शासनकाल में हमेशा ही आरएसएस के विचारों की आलोचना करते आए प्रणब मुखर्जी मंच पर क्या बोलेंगे, इस पर सबकी नजरें रहेगी।

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज शाम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। इससे  पहले कांग्रेस समेत देश के राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा तेज है कि आखिर वह क्या बोलेंगे। नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में  तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण लेने वाले काडर को प्रणब मुखर्जी शाम 6:30 पर संबोधित करेंगे। तकरीबन 5 दशक से कांग्रेस की राजनीति करने वाले पूर्व राष्ट्रपति का संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेना अप्रत्याशित माना जा रहा है। वह गुरुवार शाम को 5:30 बजे से रात 9:30 बजे तक संघ मुख्यालय में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत संघ के भगवा ध्वज को फहराए जाने से होगी। संघ की शब्दावली में इसे ध्वजारोहण कहा जाता है। संघ के इस दीक्षांत समारोह में प्रणब मुखर्जी समेत 4 लोग मंच पर होंगे। इनमें  मोहन भागवत और आरएसएस के दो अन्य सीनियर अधिकारी भी शामिल होंगे। प्रणब मुखर्जी करीब आधे की घंटे की स्पीच देंगे। कहा जा रहा है कि वह राष्ट्रीय मुद्दों पर ही बात करेंगे और राजनीतिक मुद्दों से परे रह सकते हैं। उनके बाद आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत का भाषण होगा। 

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 कांग्रेस पार्टी प्रणव मुखर्जी के आरएसएस के कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट शामिल होने से खुश नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा को भी पिता का संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नागपुर जाना पसंद नहीं आया ।उसका मानना है कि इससे संघ की कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा को मान्यता मिलेगी। वैसे कई ऐसे लोग हैं जिनका कहना है कि राजनीतिक विरोध के बीच ऐसा जुड़ाव लोकतंत्र के लिए जरूरी है, क्योंकि ऐसा नहीं होने पर कई बार राष्ट्रहित को नुकसान पहुंचता है। आज सबकी नजरें इस पर टिकी है कि आखिर प्रणव मुखर्जी क्या बोलते हैं। 


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