बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

कांग्रेस को प्रशांत किशोर ने बताया फिसड्डी, भाजपा के साथ राजद का भी किया गुणगान

कांग्रेस को प्रशांत किशोर ने बताया फिसड्डी, भाजपा के साथ राजद का भी किया गुणगान

DESK : देश की राजनीति के सबसे बड़े रणनीतिकार माने जानेवाले प्रशांत किशोर पिछले कुछ दिनों से लगातार कांग्रेस पर हमले कर रहे हैं। अब उन्होंने कांग्रेस को वर्तमान समय में सबसे फिसड्डी पार्टी बता दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए चर्चा में बने रहने की जरूरत होती है। वह चाहे पॉजिटिव हो या नेगेटिव, लेकिन कांग्रेस इस मामले में फिसड्डी दिखती है।

राजद से सीखे कांग्रेस

प्रशांत किशोर ने कहा है कि कांग्रेस को बिहार से सीखना चाहिए कि राजनीतिक विरोधी को चुनौती कैसे दी जाती है और विपक्ष में कैसे रहा जाता है। उनका इशारा बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से था। जिसने साबित किया कि सरकार में नहीं होने के बाद भी वह हमेशा चर्चा में सबसे ऊपर रहा है।

बना रहेगा भाजपा का प्रभाव

एक समाचार पत्र के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी आगामी दो दशकों तक देश की राजनीति में प्रभावी बनी रहेगी और दूसरे दलों के लिए चुनावों में उसे हराना बहुत कठिन होगा। प्रशांत किशोर ने ‘1977 के दौर को छोड़कर आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस पार्टी ही भारतीय राजनीति के केंद्र में रही। उस समय राजनीति का हर पैंतरा कांग्रेस की तरफ से होता था. उस दौर में कोई दूसरी पार्टी पैन इंडिया अपनी पहुंच नहीं बना पा रही थी. आज के दौर में बीजेपी ने वह पकड़ बना रखी है.’


बीजेपी को चुनौती देना आसान नहीं’ 

बिहार में अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके प्रशांत किशोर ने कहा कि कि अगले 20-30 वर्षों तक देश की राजनीति के केंद्र में बीजेपी ही रहने वाली है। राजनीति चाहे उसके समर्थन में हो, या उसके विरोध में, लेकिन केंद्र में बीजेपी ही रहने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी को ऐसे रास्ते पर पहुंचा दिया है, जहां उसे चुनौती देना सभी के लिए बहुत मुश्किल काम है। 

1984 से कांग्रेस ने अपने दम पर नहीं बनाई है सरकार

प्रशांत किशोर ने कहा कि 1984 के दौर में कांग्रेस अपने चरम पर थी, उस समय मिली जीत ऐतिहासिक थी, वह बहुत बड़ी जीत थी. लेकिन 1990 के बाद के दौर में कांग्रेस सिमटने लगी। हालांकि इस दौरान कांग्रेस केंद्र में जरुर रही, लेकिन वह इस दौरान दूसरी पार्टियों पर निर्भर रही। इस दौर को ऐसा नहीं माना जा सकता कि हर तरफ कांग्रेस थी. वह गठबंधन की बैसाखी के सहारे सरकार बना तो रही थी, पर कांग्रेस की वह अपील नदारद थी जो 90 के दशक के पहले हुआ करती थी।

Suggested News