बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

प्रशांत किशोर की बिहार में दुकानदारी हुई बंद! दफ्तर में लटक गया ताला, 'बात बिहार की' मुहिम की निकली हवा

प्रशांत किशोर की बिहार में दुकानदारी हुई बंद! दफ्तर में लटक गया ताला, 'बात बिहार की' मुहिम की निकली हवा

पटनाः प्रशांत किशोर ने बिहार से अपनी दुकानदारी समेट लिया है।प्रशांत किशोर के दफ्तर में ताला गया और सारे स्टाफ को दूसरे जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया है।'बात बिहार की' कार्यक्रम से अगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की घोषणा करने वाले प्रशांत किशोर ने सूबे में अपना कार्यालय तक बंद कर लिया है.पटना के एग्जीबिशन रोड में जहां लंबे समय से कार्यालय चल रहा था उसे बंद कर दिया गया है।पीके की टीम के कई सदस्य काफी समय से यहीं से काम कर रहे थे. लेकिन अब टीम के सदस्यों को दूसरे राज्यों में  शिफ्ट कर दिया गया है। बताया जाता है कि प्रशांत किशोर ने सभी स्टाफ को बंगाल और तमिलनाडु शिफ्ट कर दिया।बाकि के कई स्टाफ ने पीके की कंपनी को बाय-बाय कह दिया।

बिहार से समेटा अपना कार्यालय
प्रशांत किशोर ने 40 से 50 लोगों की टीम 'बात बिहार की' कार्यक्रम के लगा रखा था।आागामी विधानसभा चुनाव को लेकर शुरू के कुछ महीनों में टीम ने काम भी किया था. लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही प्रशांत किशोर ने अपनी टीम को समेटना शुरू कर दिया था. पहले अधिकांश सदस्यों को बंगाल और तमिलनाडु शिफ्ट कर दिया. इसके बाद पटना कार्यालय पूरी तरह बंद हो गया है. 

बता कें कि साल के शुरूआत में प्रशांत किशोर की गतिविधि थोड़ी रही।उसके बाद गतिविधि पूरी तरह समाप्त हो गई है. प्रशांत किशोर पटना आए थे, तो उन्होंने दावा किया था कि तीन महीने में 10 लाख युवाओं को जोड़ेंगे और गांव तक राजनीति में अपनी भूमिका निभाएंगे.पटना में प्रेस कांफ्रेंस करने के बाद प्रशांत पटना से गए फिर वापस नहीं आये। कोरोना काल में टीम के सदस्यों की फील्ड वर्क भी बंद हो गई. पूरा कार्यक्रम सोशल मीडिया तक सिमट कर रह गया और अब प्रशांत किशोर ने बिहार से अपने पूरे कार्यक्रम को ही समेट लिया है.

बता दें कि 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की जेडीयू के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में दो नंबर की कुर्सी यानि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था।इसके साथ ही जेडीयू की छात्र राजनीति की जिम्मेवारी भी उन्हें ही मिली थी।पीके के मार्गदर्शन में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में भी पार्टी की जीत हुई थी।जानकार बताते हैं कि प्रशांत किशोर की पार्टी में दखलंदागी कई वरिष्ठ नेताओं को नागवार गुजरी।इसके बाद उ नेताओं ने एक चाल चली।उसी राजनीतिक चाल में प्रशांत किशोर फंस गए । पार्टी के अंदर उनके खिलाफ जिस प्रकार से नाराजगी बढ़ी आखिरकार उन्हें बिहार से बाहर जाना पड़ा.



Suggested News