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महामारी काल में भी जमुई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लटका ताला, मरीजों की बढ़ी परेशानी

महामारी काल में भी जमुई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में लटका ताला, मरीजों की बढ़ी परेशानी

JAMUI : सूबे के सभी 1454 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर चिकित्सकीय सेवा बहाल करने के सरकार के निर्देश के बाद भी जिला के कई अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य  केन्द्रों पर बुधवार को भी अन्य दिनों की तरह ताला लटका रहा है. एक तरफ जहां कोरोना महामारी से पूरा देश कराह रहा है. लोग दवा और इलाज के अभाव में मर रहे हैं. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग अपनी पीठ खुद थपथपा रहा है कि मरीजों को सारी सुविधाएं मिल रही है. लेकिन इन दावों की सारी पोल बरहट प्रखंड के कटौना पंचायत का अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ केंद्र खोलकर रख देता है. जहां कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मार्च से नहीं. बल्कि कई सालों से ताला लटका पड़ा है. इसका परिणाम ये है कि पंचायत के गरीब तबके के मरीजों का इलाज उसी पंचायत के मुखिया उपेन्द्र मंडल कर रहे हैं.  

बताते चलें की कटौना ग्राम पंचायत में ग्रामीणों के स्वास्थ्य की देखरेख के लिये एक अतिरिक्त स्वास्थ्य प्राथमिक केंद्र की स्थापना तो की गई. लेकिन आलम ये है कि विगत कई वर्षों से सरकार की उदासीनता के कारण अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका पड़ा है और कोरोना काल में कोरोना संक्रमित मरीजों या फिर अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों को इलाज के डॉक्टर नहीं मिल रहे. कोरोना के इस संकट की घड़ी में हजारों की आबादी वाले इस पंचायत में सैंकड़ों लोग खांसी और बुखार से पीड़ित हैं. लेकिन स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में वो अपना इलाज पंचायत के झोला-छाप डॉक्टरों या फिर मुखिया से कराने के लिए विवश हैं. 

कहने को तो इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चार एएनएम और दो चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी कार्यरत हैं. लेकिन इसके बावजूद इस स्वास्थ्य केन्द्र पर ताला लटका पड़ा है. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाने पर जोर तो दे रही है. लेकिन उसका कोई असर कटौना के अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र पर पड़ता नहीं दिखा रहा. कटौना पंचायत के मुखिया उपेन्द्र मंडल की बातों पर यकीन करें तो वो सुबह से लेकर शाम तक हर रोज इस कोरोना काल में 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज करते हैं जो ठीक भी हो जाते हैं. उनका कहना है की अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक भी डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति नहीं है. जो एएनएम प्रतिनियुक्त भी हैं, उनकी ड्यूटी कहीं और लगा दी गई है. ऐसे में झोला-छाप डॉक्टरों के भरोसे ही ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों का इलाज हो रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना के बढ़ते प्रसार को देखते हुए सरकार के हर निर्देशों का पालन इस पंचायत में किया जा रहा है. साथ ही लोगों के बीच मास्क वितरण और ग्रामीण इलाकों में सेनिटेजाइसेशन का कार्य भी चल रहा है.

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंद रहने के कारण ग्रामीणों के बीच आक्रोश व्यक्त है. पूर्व जिला परिषद सदस्य अरविंद कुमार राव उर्फ टुनटुन रावत ने कहा कि इस संबंध में कई बार जमुई के सिविल सर्जन से लेकर मलयपुर के प्रभारी चिकित्सा प्रभारी तक से शिकायत की गई. लेकिन उनकी ओर से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का ताला नहीं खुलता. उन्होंने कहा कि कोराना काल में अगर जल्द नियमित रूप से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज प्रारम्भ नहीं होता है तो गांव की जनता इसको लेकर चरणबद्ध आंदोलन करने को बाध्य होगी. इस बाबत पूछे जाने पर जमुई के सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने कहा कि कोरोना को लेकर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के कर्मचारियों को कोविड केयर सेंटर में लगाया गया था. उन्होंने कहा कि जितने कोविड केयर सेंटर जिला में खोला गया है या फिर खुलने वाला है. उसमें स्वास्थ्य कर्मी को लगाए जाने के बाद अगर स्टाफ की संख्या सर प्लस होती है. तभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोला जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. 

जमुई से राकेश कुमार की रिपोर्ट 

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